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Manisha Singh Raghuvanshi
White aao baten khushiyon ke ujale is diwali..roshan karen kisi andheri bebas udas jagah ko.. reh na jaye koi ghar andhera.. sajha karen anar fuljhadi kisi masoom bachpan se... pake apnapan jo khushi ki chamak dikhegi uski ankhon me..koi jhalar koi atishbaji .na de payegi vo sukoon...vo khushi ..apne man ko.. shubh dipavali✨️✨️🤍💛 ©Manisha Singh Raghuvanshi #happy vali diwali khushiya bantne se badhti hain
#Happy vali diwali khushiya bantne se badhti hain
read moreSam
White प्रेम से बड़ा नहीं है कोई हथियार, टिक नहीं पाती कितनी भी मजबूत हो दीवार। प्रेमी से सुलझ जाती हैं,बड़ी से बड़ी रार, प्रेम से जुड़ जाते हैं मित्रता के तार।। प्रेम से बड़ा नहीं है कोई हथियार, प्रेमी से ही सुधर जाते हैं मनुष्य के विचार। प्रेम ही मिला है, हमें ईश्वर का बनकर दीदार, प्रेम मिला हमें ईश्वर से,बनकर अनमोल उपहार।। प्रेम से ही जुड़ जाते हैं मित्रता के तार, प्रेम में उलझकर बन जाते हैं,शत्रु भी यार। प्रेम के द्वारा नहीं होती कभी भी हमारी हार, प्रेम से ही उन्नति करता है हमारा व्यापार।। ©Sam #prem ek hathiyar
#Prem ek hathiyar
read morePAWAN GUPTA
White Ek Wakt Aisa Bhi Tha Ki Sab Kuch Tha Pas Mere Ek Wakt Aisa Bhi Hai Ki Kuch Bhi Nahi Hai Pas Mere Fir Ek Wo Wakt Ayega Ki Sab Kuch Hoga Pass Mere..... ©PAWAN GUPTA #Ek Wakt
#Ek Wakt
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White हर दिन इंतज़ार एक शाम का... हर रात पैरहन, उलझन, वेदना और भी बहुत कुछ, फिर हर सुबह सबकुछ रखकर किनारे चल देना किसी ऐसे सफर पर, जिसकी मंज़िल फिर से वही अनमनी शाम है, जिसके पहलू में वक्त है, लेकिन जरा सा, आंखें हैं थोड़ी बुझी सी, स्मृतियाँ हैं कुछ धुंधली - सी स्वप्न नहीं है लेकिन राख है, बात नहीं है लेकिन याद है, उम्मीद है या नही, ठीक से नहीं कह सकते लेकिन जैसे हैं उम्र भर ऐसे भी नहीं रह सकते, फिर भी अब स्वप्न की चाह नहीं, सच कहें तो, कोई राह नहीं, आंसू बहते हैं तो पोंछ लेती हूँ, सांसों से बगावत कर लूँ यहाँ तक सोच लेती हूँ, लेकिन फिर.... कुछ नहीं... कहीं कुछ भी नहीं... न आस, न विश्वास न इच्छा न प्रयास अब डर भी 1[ लगता, न कुछ कहने की इच्छा ही है अपनों से नहीं तो गैरों से क्या शिकायत हो, मन के थक जाने के बाद कैसे बगावत हो, विरोध के लिए सामर्थ्य चाहिए, बहस के लिए शब्द, और तर्क भावना का कहीं कोई महत्व नहीं, वह सर्वत्र तिरस्कृत ही होती है, और मुझमें तो सदैव से भावना ही प्रधान है फिर तर्क कहाँ से लाऊँ, इसलिए मैने चुन लिया है अश्रुओं से सिंचित मौन को बोलने दो इस संसार को, होता है तो होने दो परिहास प्राणों का, मन का, और अंततः आत्मा का भी.... _sneh .................. ©*#_@_#* #ek sham
#Ek sham
read moreKumar Vimal