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Shashi Goutam
White रोजी रोटी की तलाश में घरों से दूर हैं हम, मुश्किल वक्त में पता चलता है,कितने मजबूर हैं हम। Roji roti ki talaash me gharon se door hain hun, muskil waqt me pata chalta hai,kitne mazboor hain hum. ©Shashi Goutam #वक्त #रोटी #घर #मजबूर #अपने #दोस्ती #परिवार #जरूरत
Parasram Arora
White कई दिनों से पाली हुई अपनी. भुख के लिए मैं रोटी की तलाश हर गली मे करता रहा लेकिन सब जगह से मुझे दुतकारा गया लेकिनअब मैं रोटी मांगूगा नहीं बल्कि पूरी ताकत लगा कर छिनूँगा ...उस घरसे जहाँ से मुझे रोटी की सुगंध महसूस होंगी ©Parasram Arora रोटी की सुगंध
रोटी की सुगंध
read moreParasram Arora
White एक अदद रोटी और दो गूँट प्यास के लिये मैं अपनी जिंदगी को धूप मे तपा कर पसीनो से लथ पथ करता रहा और पसीनो से जिंदगी को नहला. कर उसे ताज़गी से भरता रहा ©Parasram Arora एक अदद रोटी और दो गूट प्यास
एक अदद रोटी और दो गूट प्यास
read moreAnkur
White मोहब्बत बरसा देना तू; सावन आया है! हालांकि सावन अब चला गया है, पर मोहब्बत बरकरार रहनी चाहिए। सजने को सजनी बेकरार रहनी चाहिए, दिलाें में प्रेम की फुहार रहनी चाहिए। वर्षा की बूंदों की बौछार रहनी चाहिए, कजरी लोकगीतों की मल्हार रहनी चाहिए। अम्बवा की डाली गुलज़ार रहनी चाहिए, तीज और त्योहार की बहार रहनी चाहिए। शिवालयों में भक्तों की कतार रहनी चाहिए, खुशियां जीवन का आधार रहनी चाहिए.. ©Ankur हालांकि सावन अब चला गया है पर मोहब्बत बरकरार रहनी चाहिए! #GoodNight #SaawanAaya #mohabbat #positive #poem Hinduism
हालांकि सावन अब चला गया है पर मोहब्बत बरकरार रहनी चाहिए! #GoodNight #SaawanAaya #mohabbat #positive #poem Hinduism
read moreAshish Singh
अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
सावन डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द) सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर । लख कर जलधर , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर । परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर। सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर। ©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन' #रक्षाबंधन #सावन #शिवजी