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Heer
प्रेम को समझना हर किसी के बस की बात नहीं..... सच्चा प्रेम किसे कहते है ये सिखाने ही तो राधा कृष्ण मनुष्य रूप में धरा पर अवतरित हुए थे। हम म #surrender #Videos #हरे_कृष्ण #गुरुकृपा
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गीत :- जन्मदिवस की आप , बधाई मेरी ले लो । रोग न आये द्वार , दवाई मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप बधाई... किया दुआ हर बार , शरण प्रभु की मैं जाकर । गया खुशी से फूल , आज उपहार वह पाकर ।। लाया हूँ सौगात , वहीं मैं तुमको देने । जीवन हो खुशहाल , कमाई मेरी ले लो । जन्मदिवस की आप, बधाई .... तुमको करूँ प्रसन्न , गीत वह लिखकर लाया । पास न मेरे और , कहीं कोई धन माया ।। देना था उपहार , जन्मदिन तेरा आया । रूठो मत अब आप , मिठाई मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप , बधाई..... जीवन है संग्राम , नही डर कर तुम भागो । छोड़ो विस्तर आज , नींद से अब तो जागो ।। रहें कलम में धार , मातु से यह वर माँगूं सुन लो मेरी बात , खुदाई मेरी ले लो । जन्मदिवस की आप , बधाई ... लड्डू मोती चूर , मिठाई सारे लाये । तेरे लिए बहार , गुलाबी हम ले आये ।। मैं तो रहा अनाथ , धरा के देखे मेले । भू पे आयी नींद , चटाई मेरी ले लो .... जन्मदिवस की आप , बधाई...... राधे-रानी मातु , वचन देकर यह बोली । जा खुशियों में झूम , भरी मैं तेरी झोली ।। हो जीवन आनंद , तुम्हारा वर मैं पाया । झूठ न बोलूँ आज , गवाही मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप, बधाई..... जन्मदिवस की आप , बधाई मेरी ले लो । रोग न आये द्वार , दवाई मेरी ले लो ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- जन्मदिवस की आप , बधाई मेरी ले लो । रोग न आये द्वार , दवाई मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप बधाई... किया दुआ हर बार , शरण प्रभु की मैं जा
गीत :- जन्मदिवस की आप , बधाई मेरी ले लो । रोग न आये द्वार , दवाई मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप बधाई... किया दुआ हर बार , शरण प्रभु की मैं जा #कविता
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*विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी .... पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह । खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।। आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव । जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव । आओ लौट चलें अब साथी ..... स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय । सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।। यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव । देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह । मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।। अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव । सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ..... झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख । गर्दन भी ये अब न न करती ,लोग रहे सब देख ।। वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव । मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।। आओ लौट चलें साथी अब ... कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव । एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।। और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव । अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ...
*विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ... #कविता
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White आओ करे प्रकृति संरक्षण :- गीत आओ करें प्रकृति संरक्षण , मन में उठा विचार । नहीं काटना वृक्षों को अब , ले करके हथियार ।। आओ करे प्रकृति संरक्षण ... जैसे धरा बनी है जग में , देख अब सृजनहार । जो बीज गिरे उन फसलों से , वह अंकुर हैं बार ।। यह प्रमाण न परिणाम है , सुनो है चमत्कार । आओ धरती माँ से सीखे , करना यह व्यवहार ।। नहीं काटना वृक्षों को अब .. एक-एक पौधे जो रोपे , होंगे लाख हजार । तभी बनेगी सृष्टि हमारी , जीवन का आधार ।। इस धरती के संग सभी , पोषित हो इस बार । यही कामना मन में लेकर , दिया वृक्ष उपहार ।। आओ करें प्रकृति संरक्षण .... छोटे बड़े लगाओ पौधे , सबको दो स्थान । दूब धतूरा शरपत कासा , सबका अपना मान ।। सब ही जीवन अंग बने हैं ,मन से कर स्वीकार । प्रभु ने मानव रूप दिया है , करो नही व्यापार । आओ करे प्रकृति संरक्षण .... आओ करें प्रकृति संरक्षण , मन में उठा विचार । नहीं काटना वृक्षों को अब , ले करके हथियार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आओ करे प्रकृति संरक्षण :- गीत आओ करें प्रकृति संरक्षण , मन में उठा विचार । नहीं काटना वृक्षों को अब , ले करके हथियार ।। आओ करे प्रकृति संरक
आओ करे प्रकृति संरक्षण :- गीत आओ करें प्रकृति संरक्षण , मन में उठा विचार । नहीं काटना वृक्षों को अब , ले करके हथियार ।। आओ करे प्रकृति संरक #कविता
read morePrakhar Tiwari
White सावन एक रंग लाया है, धरा ने हरित चूनर पाया है। बूंदों की झड़ी लगी है जब, धरती ने अमृत बरसाया है। बादल के संग नाचे मयूर, खुशियों का गीत गाया है। खेतों में हरियाली छाई, किसान ने मुस्कान फैलाया है। नदियों का जल भरा लबालब, प्रकृति ने अपना रूप सजाया है। सावन एक रंग लाया है, जीवन में नई उमंग लाया है। ©Prakhar Tiwari #sawan_2024 सावन एक रंग लाया है, धरा ने हरित चूनर पाया है। बूंदों की झड़ी लगी है जब, धरती ने अमृत बरसाया है। बादल के संग नाचे मयूर, खुश
#sawan_2024 सावन एक रंग लाया है, धरा ने हरित चूनर पाया है। बूंदों की झड़ी लगी है जब, धरती ने अमृत बरसाया है। बादल के संग नाचे मयूर, खुश #कविता
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White ,, हम गुरु चरणों में शीश झुकाएँ ,, गुरु शरण नित शीश झुका कर, अंतस सुख पा जाइए । मिलता अनुपम ज्ञान जहाँ से, जीवन को सुखी यही बनाइए । भक्ति का सार सिखाते गुरु वर, प्रभु मिलन की राह बनाइए। नर देह धरी प्रभु ने जो धरा पर, गुरु शरण में शीश झुकाया था । गुरु की महिमा का ज्ञान हमें, गुरु शिक्षा से सिखलाया था। भव सागर से तर जाने को, जप नाम का मार्ग दिखाया था । गुरु बिन ज्ञान अधूरा होता, यह गुर( तरीका)हमको सिखलाया था। मात - पिता,गुरु,बंधु,सखा, 'गुरु ' सम ज्ञान की सीढ़ी हैं । गुरु मान इन्हें नित शीश झुका, अंतस में इन्हें बिठाइए। गुरु शरण नित शीश झुकाइए । ©बेजुबान शायर shivkumar #guru_purnima #Nojoto ,, हम #गुरु चरणों में शीश झुकाएँ ,,
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज मेरी जो हँसाने मेघ आये हैं ।। किसानों के हमीं साथी बने संसार में देखो । यही तो बात है जो अब जताने मेघ आये हैं ।। कहीं सूखा कहीं गीला प्रकृति के प्रेम पर निर्भर । बनाओ मत हमें बैरी बताने मेघ आये हैं ।। तपन से सूर्य की देखो धरा जब भी हुई प्यासी । सुना है प्यास को उसकी बुझाने मेघ आये हैं ।। भले इंसान थे कल तक मगर शैतान हैं अब तो । उन्हें इंसान अब फिर से बनाने मेघ आये हैं ।। वरुण जी भी हुए क्रोधित तुम्हारी आज हरकत से । सँभल जाओ प्रखर अब तुम सिखाने मेघ आये हैं ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज
ग़ज़ल :- धरा को फिर नई दुल्हन बनाने मेघ आये हैं । दफ़्न जो बीज थे अंदर उगाने मेघ आये हैं ।। खुशी से झूमता हलधर मुरादें हो गई पूरी । फसल को आज #शायरी
read moreBindu Sharma
White एक वो चांद है जो आसमां पर अकेला है, एक यह हम हैं जो धरा पर अकेले हैं.. ©Bindu Sharma #sad_dp #चाँद #अकेला #आसमां #धरा #हम #Nojoto #Shayari #nojohindi
Ravendra
वृक्षारोपण महाकुम्भ में रोपित किये जाएंगेे 47 लाख 25 हज़ार 324 पौधे बहराइच । कलेक्ट्रेट परिसर में नवनिर्मित प्रतिक्षालय में जिलाधिकारी मोनिक #वीडियो
read moreदिलीप कुमार
अब हमें पेड़ लगाना होगा, सोई जमीं को जगाना होगा। धूप- छाव का खेल , पेड़ लगा के बताना होगा। करना है श्रृंगार धरा का, पौधो को पानी पिलाना होगा। सूरत बदलनी गांव शहर की , पेड़ - पौधा लगाने होगा। गर रहना खुदको जिंदा, पेड़ों को जगाना होगा। यूं ही तुम लगा रहे पेड़, औरों को भी बताना होगा। अगर कोई काट रहा पेड़, आपको अब समझाना होगा। ©दिलीप कुमार अब हमें पेड़ लगाना होगा, सोई जमीं को जगाना होगा। धूप- छाव का खेल , पेड़ लगा के बताना होगा। करना है श्रृंगार धरा का, पौधो को पानी पिलाना होगा
अब हमें पेड़ लगाना होगा, सोई जमीं को जगाना होगा। धूप- छाव का खेल , पेड़ लगा के बताना होगा। करना है श्रृंगार धरा का, पौधो को पानी पिलाना होगा #New #Growth #plant #Trees #environment #Paryavaran #moneyplant
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