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नवनीत ठाकुर
जिन्दगी के उतार-चढ़ाव में नीयत कहीं डोल न जाए, बावजूद इसके कीमत अपनी भारी रखो। जमाने भर की नफ़रतों के बावजूद, मोहब्बत यूं ही जारी रखो। तुमसे बढ़कर कोई नहीं है इस जहाँ में, इसलिए खुद को सबसे खास जारी रखो। अच्छाई के रास्ते पर चलते रहो हर दम, हर उलझन के बावजूद नेकियां जारी रखो। रुख हवा का हो या दुनिया बदल जाए, अपने दिल की आवाज़ भारी रखो। सफेद कपड़ों पर दाग लग न जाए, तबियत अपनी साफ रखो। दब जाना नहीं ऊंची आवाज़ के तले, अलग अपनी एक पहचान रखो। आ जाएं किसी के भी काम, राहत हमेशा सरकारी रखो। बुरा वक्त आए न किसी का, हाथ बढ़ाने में सरदारी रखो। दूसरों के दुःख-सुख में भागीदार बनो, अपने दिल में इंसानियत की सवारी रखो। ©नवनीत ठाकुर #मुहब्बत अपनी जारी रखो
#मुहब्बत अपनी जारी रखो
read moreनवनीत ठाकुर
छक्के पंजे के चक्कर में, कौड़ियों के भाव बिक न जाना कहीं, बेहतर है कीमत अपनी भारी रखो। हल्के में समझौता नहीं करना, संघर्ष अपना जारी रखो। सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास न करें, लोगों से ऐसे अपनी दूरी बनाए रखें। सदियों से चली आ रही है झूठी रवायतें, ऐसी रस्मों को अपने जूते की नोक पर रखें। लोगों को मुंह पर मीठी बात करने की है आदत, सच बोलने से पीछे न हटे, जुबान पर कड़वी दवाई रखें। ©नवनीत ठाकुर #लड़ाई अपनी जारी रखें
#लड़ाई अपनी जारी रखें
read moreRAVI PRAKASH
White खुद चुना अपनी राहे भीड का हिस्सा बनना क्यो है वो करो जो दिल कहता है हर बात दूसरो की सुनना क्या है राह भी तुम्हारी है, सपने भी तुम्हारे हे फिर किसी और का रास्ता पकडना क्यो है उडने दो ख्वाबो को पिंजरे मे खुलकर क्यो है. खुद को रखना क्यो ©RAVI PRAKASH #love_shayari खुद चुना अपनी राहे
#love_shayari खुद चुना अपनी राहे
read moreRAVI PRAKASH
White खुद चुना अपनी राहे भीड का हिस्सा बनना क्यो है वो करो जो दिल कहता है हर बात दूसरो की सुनना क्या है राह भी तुम्हारी है, सपने भी तुम्हारे हे फिर किसी और का रास्ता पकडना क्यो है उडने दो ख्वाबो को पिंजरे मे खुलकर क्यो है. खुद को रखना क्यो ©RAVI PRAKASH #Sad_Status खुद चुना अपनी राहे
#Sad_Status खुद चुना अपनी राहे
read moreवैभव जैन
White 🧓वो मेरी नानी थी🧓 मेरे बचपन मेरी गर्मियों की वो राजधानी थी भूलती नहीं कांच की चूड़ी वो मीठी लोरी थी हर पाठ सिखाई वो ही तो घर की महारानी थी वो मेरी नानी थी ।।1।। परायों को अपनाती वो खुशियां अपनी देती थी वो झूठा गुस्सा करके धीरे से मिठाई खिलाती थी चेहरे पर झुर्री नहीं हां कान में थोड़ी परेशानी थी वो मेरी नानी थी ।।2।। बचपन गया आई जवानी बदली नहीं राजधानी थी साझा नहीं किया दर्द सादगी जानी पहचानी थी चली गई आज छोड़ के अब हर चीज बेगानी थी वो मेरी नानी थी ।।3।। "गुरु प्रशस्त"कहे साथ नहीं नानी उनकी यादें संजोना "वैभव"किस्मत वालों हो मां जैसे नानी का प्यार मिलना ©वैभव जैन #वो मेरी नानी थी
वो मेरी नानी थी
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