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Saket Ranjan Shukla
Night sms quotes messages in hindi करूँ न करूँ शिकायतें तुझसे हाथों से रेत की तरह, हर दफ़ा फिसल जाती है तू, मुझे तन्हा छोड़, पता नहीं कहाँ निकल जाती है तू, मिन्नतें करवाती है तू हरेक मुलाकात के लिए मुझसे, और बिना दीदार दिए ही कहीं और टहल जाती है तू, मैं शायद मैं भी न रहूँ, जो तू ना मिले किसी रोज़ मुझे, मुझे कर बेकल इतना, न जाने कैसे सँभल जाती है तू, थकता हूँ सारा दिन कि तेरे आगोश में रातें गुजार सकूँ, मिले सुकून मुझे, इससे पहले ही तो बिछड़ जाती है तू, हैं और भी शिकायतें ऐ नींद “साकेत" के पास तेरे लिए, मगर डरता हूँ कहने से कि बड़ी जल्दी बिफ़र जाती है तू। IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla करूँ न करूँ शिकायतें तुझसे.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
करूँ न करूँ शिकायतें तुझसे.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength . #hindikavita #hindipoetry #lovepoem #नींद #लव #स्याहीकार #काव्यSaga #बोलतीकविताओंकासंग्रह
read moredeepmala kumari
White अपनी उम्र महीना या साल से नहीं बल्कि अच्छे दोस्त की संख्याओं से गिने ©deepmala kumari #engineers_day #का#
Anjali Jain
White कुछ भूल जाऊँ तब तकलीफ होती ही है पर कुछ याद रह जाए तब भी तकलीफ हो जाती है!! कुछ न कर पाऊँ तब तकलीफ होती ही है पर कुछ कर जाऊँ तब भी तकलीफ हो जाती है!! कुछ निंदा कर दूं तब तकलीफ होती ही है पर कुछ प्रशंसा कर दूं तब भी तकलीफ हो जाती है!! ©Anjali Jain #sad_quotes क्या करूँ? 13.09.24 आज का विचार
#sad_quotes क्या करूँ? 13.09.24 आज का विचार
read moreप्रा.शिवाजी ना.वाघमारे
का कुणावर प्रेम कराव ? का कुणासाठी झुरायच ,का कुणासाठी मरायच, देवाने आई बाबा दिले आहे त्यांच्यासाठी सगळं करायच.. ©प्रा.शिवाजी ना.वाघमारे का
का #Shayari
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का तुझको धानी चुनर में जब देखा मैं हुआ हूँ शिकार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा जो प्यार सावन का इक नज़र देख लूँ अगर तुमको । तब ही आये करार सावन का वो न आयेगा पास में मेरे क्यों करूँ इंतज़ार सावन का दिल में जबसे बसे हो तुम दिलबर रोज़ होता दीदार सावन का आप आये हो मेरी महफ़िल में चढ़ रहा है खुमार सावन का आस ये आखिरी मेरे दिल की करके आओ शृंगार सावन का आप क्यों अब चले नही आते कुछ तो होगा उधार सावन का बिन सजन मान लो प्रखर तुम भी खो ही जाता करार सावन का महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का तुझको धानी चुनर में जब देखा मैं हुआ हूँ शिकार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा
ग़ज़ल :- बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का तुझको धानी चुनर में जब देखा मैं हुआ हूँ शिकार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा #शायरी
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