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हिमांशु Kulshreshtha

ए दिल.. #कविता

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White मन तो बावरा है
अटकता है कभी तो
भटकता है कभी.. 
विरक्त है कभी तो
आसक्त है कभी...
धूप है प्रेम की
तो छाह यादों की कभी!!

डूबता उतरता सा
मचलता, भटकता सा कभी,
कितने रंग समेटे खुद में
हो रहा बदरंग कभी

रे मन..
कैसे पाऊँ थाह तेरी
है तू आस कभी तो
तू है निर्लिप्त कभी

©हिमांशु Kulshreshtha ए दिल..

Deepak "New Fly of Life"

शक्ति ए औरत #शायरी

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रोते रोते मुस्कुराने का,
हुनर सीख लेते हैं,
ये औरतें हैं जनाब,
सब कुछ सह लेते हैं।
न जाने कहाँ से मिली,
इन्हें ये ताकत है,
जिसे बस रोने में जाया कर देते हैं।
अगर पहचान लें ये,
और समझ लें,
खुद के अपने ज़ज़्बात को,
तो ये काली माँ से कम नहीं होते हैं।
रोते रोते मुस्कुराने का,
हुनर सीख लेते हैं,
ये औरतें हैं जनाब,
सब कुछ सह लेते हैं।

©Deepak "New Fly of Life" शक्ति ए औरत

Heer

कुछ अधूरी दास्तान कलाकार की 😥 hindi poetry sad poetry #Poetry

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White कलाकार तो हम भी है मगर किसीने मौका नहीं दिया,
शौख को अपने इस कदर छुपा लिया हमने,
आह भी ना भरी तब हमने।

©Heer  कुछ अधूरी दास्तान कलाकार की 😥 hindi poetry sad poetry

prashanth goldsmith

#Thinking **Title: दिल की दास्तान**

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PRAKASH GOURH ~> Azamgarh <~

तासीर ए जहर #शायरी

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Deepak "New Fly of Life"

#तैयारी ए हिफाज़त #कविता

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Ekta Singh

Murtaza Ali

#मातम ए शब्बीर #Poetry

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लाल हुई जब ज़मीं ए कर्बला
खूं ए शब्बीर से,
खाक  बन गई  शिफा
खूँ ए शब्बीर से।।
सदा ये आती है ’मोहसिन’
खूं ए शब्बीर से,
मातम है हक़ मेरा
हुकुम ए नबी से।।
✍️✍️मुर्तजा ’मोहसिन’

©Murtaza Ali #मातम ए शब्बीर

Urmeela Raikwar (parihar)

ए जिंदगी #शायरी

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Dev Rishi

#दिल ए बारिशें #कविता

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संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती हैं 
पल्लव के ये बहुत प्यारे , तुम तो प्रेमिका सी लगती हो....
कौन गाये करूण कथाएं , तुम तो यौवन सी थिरकती हो
काशी में  मणिकर्णिका... क्या तुम उसके जैसी लगती हो  


खिला ग़ुलाब चंपा चमेली, 
मादकता सी लगती हो 
अधरों पर मीठी मुस्कान,  
खिली पंखुड़ियों जैसी लगती हो 

वीरों के पथ कोमल शोभा सुसज्जित हो, 
  खुद मरने को तत्पर रहती हो  
संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती है 
पल्लव के ये बहुत प्यारे, तुम तो प्रेमिका सी लगती हो.....



   जाए के ये धनी माटी, सोना सपूत उपजाती हो 
तपती मरती विमुक्त जनों से, फिर भी हरियाली से भरी हुई रहती हो  
वो श्रंगार बारिशें का , उसमें तो ज्यादा ही जंचती हो 
जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी  तुम लगती हो.....


  गांवों के किसान तेरे  , जैसे पहली मुहब्बत सी लगती हो 
वो दूर से तुझे निहारें , तुम तो मृगतृष्णा सी क्यों लगती हो 
 छीन क्यों तुम लेती हो  , तनय सुख क्यों नहीं जीने देती हो  
 तेरे मिट्टी में मैं मिल जावा, उस पागल से क्यों कहलाती हो  

 न मिले तुझे दिल ए बारिशें, रक्तों की तुम केवल प्यासी हो   
अगर दिल तेरा भर जाएं तो  एक दफा तुम सावन बुलाना
रिमझिम रिमझिम बारिश बरसें  यौवन की विरह  तुम पा जाना
संगीत सी ये मीठी बारिश... सरगम जैसी लगती हैं 
पल्लव के ये बहुत प्यारे , तुम तो प्रेमिका सी लगती हो........

©Dev Rishi #दिल ए बारिशें
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