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nirankar poet

नकली घी भाग 3 #Trending #treanding हिंदी कविता

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nirankar poet

नकली घी भाग 2 #Trending प्रेरणादायी कविता हिंदी

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Amit Seth

चीन बना रहा है नकली सूरज nojoto #viral #Trending #वीडियो

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Poonam Ahlawat

नकली आँखे #विचार

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person

इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके #Motivational

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इस कलयुग में 
मनुष्य ही 
असुर हैं और आसुरी भी
मन के भाव और भावनाएं दूषित हो 
तो नकारात्मक सोच 
और विकार ग्रसित कर देती हैं 
मन के विकार मनके छह प्रकार के विकार उत्पन्न होते है। इनको छह रीपु भी कहते है। यथा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मात्सर्य 
स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , अहंकार , घमंड, अभिमान , गुस्सा ,
लालची स्वभाव ,
नास्तिक व्यवहार ,
असत्य ,झूठ ,
अपशब्द , दुष्टता,
यह सब नरक  के द्वार खोलते हैं 
और इन्हीं सबसे मनुष्य की पतन होती हैं

©person इस कलयुग में 
मनुष्य ही 
असुर हैं और आसुरी भी
मन के भाव और भावनाएं दूषित हो 
तो नकारात्मक सोच 
और विकार ग्रसित कर देती हैं 
मन के विकार मनके

person

पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं अवगुण और अहंकार, घमंड, लालची स्वभाव , #Motivational

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गीता में, श्रीकृष्ण अर्जुन को अपनी ब्रह्मविद्या द्वारा जीवन के मार्ग के बारे में बोध करते हैं। काम (लोभ), क्रोध और लोभ को तीनों नरक द्वार कहा गया है। इन तीनों गुणों के द्वारा मनुष्य को अनिष्ट का अनुभव होता है और यह उसे सांसारिक बन्धनों में फंसा देते हैं। 

पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार।

क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं

©person पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार
क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं 
अवगुण और अहंकार, घमंड, लालची स्वभाव ,

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष #कविता

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गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष

Devesh Dixit

#नशा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry नशा (दोहे) नशा करे कोई कभी, उसको घेरे रोग। मन से भी विचलित नहीं, हैं कैसे ये लोग।। तम्बाकू को #Poetry #sandiprohila

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Ravendra

भारत नेपाल बॉर्डर पर 72000 नकली मुद्रा के साथ एक हुआ गिरफ्तार #वीडियो

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल भाई-भाई से रार मत करना ।।  घर की इज़्ज़त पे वार मत करना  #शायरी

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White ग़ज़ल
भाई-भाई से रार मत करना ।। 
घर की इज़्ज़त पे वार मत करना 
जान भी माँग ले अगर भाई ।
तो यक़ीं तार तार मत करना ।।
जो न समझे यहाँ वफ़ा तेरी ।
तू कभी उससे प्यार मत करना ।।
माफ़ इस बार हो ख़ता मेरी ।
बाद बेशक दुलार मत करना ।।
क़समों वादों को जो भुला डाले
उसका फिर इंतजार मत करना ।।
कितना कुछ है खाने को दुनिया में ।
देख अब तू शिकार मत करना ।।
खुद को खुद की नज़र न लग जाये ।
इस तरह से शृंगार मत करना ।।
सबका सम्मान हो बराबर से ।
मन में पैदा विकार मत करना ।।
प्रेम अनमोल है प्रखर गहना ।
इसका  तू  कारोबार मत करना ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल


भाई-भाई से रार मत करना ।। 

घर की इज़्ज़त पे वार मत करना 
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