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Vineet Tinker

pushpa 2

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Nirbhay Nirbhay Singh

2 hey

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study Harish guddu

©Nirbhay Nirbhay Singh 2 hey

SUNIL SAXENA SIWAN

2-12

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White आज की तारीख दो-बारा 2-12

जिन्दगी ना मिलेगी दो - बारा

ये दिन ना आएगा फिर 2-12

खुशियां मिलती रहें दो - बारा

अपनों का दिल ना तोड़ना 2-12.

ये सब फिर ना होगा दो - बारा

आपकी याद आती रहे 2-12

बाकी लाइन आप जोड़ों, फिर एडिट कर देंगे दो बारा

©SUNIL SAXENA SIWAN 2-12

Avinash Jha

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha #संशय
#Mythology  #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun

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DANVEER SINGH DUNIYA

sad 2

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अब तुम्हें कैसे बताएं तेरे जमीर को बेचकर खुद को बचा लूं इतना गिरा नहीं हूं
    सांसें बेशक बहुत तेज चल रही हो पागल अभी मरा नहीं हूं 
 तूं कहती है ना तकलीफ देने के सिवाय कुछ काम नहीं है
   सारे घाव दिखा दिये मैंने फिर भी तुझको मैं दिखा नही हूं

©DANVEER SINGH DUNIYA sad 2

siddhartha singh

mahabharat

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Sanjeev Khandal

#Mahabharat

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White अधिकार खो कर बैठ रहना, 
यह महा दुष्कर्म है;
न्यायार्थ अपने बन्धु को भी 
दण्ड देना धर्म है।

इस तत्व पर ही कौरवों से 
पाण्डवों का रण हुआ,
जो भव्य भारतवर्ष के 
कल्पान्त का कारण हुआ।।

©Sanjeev Khandal #Mahabharat
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