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बेजुबान शायर shivkumar
//सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती है स्वर्ग के अप्सरा भी यु मंद मंद कर वो मुस्कुराती है मां की गोद में आकर भगवान भी यु बच्चे बन जाते हैं मां की ममता का सुख ईश्वर भी खूब मजा उठाते हैं ईश्वर ने खुद को बनाया है एक ख्याल उनके मन में आया है अपने जैसा ही हर किसी को खुद को पहुंचाया है जिसका नाम माँ बतलाया है समंदर से गहरी ममता का होती है उठते तूफान को शांत वो करती है न छोटा न बड़ा इस भेदभाव में मांँ कहाँ पड़ती है मीठे सपनो को अपने बच्चे के लिए मांँ संजोती है वक्त बदल जाए हालात बदल जाए पर मांँ की ममता को कोई न बदल पाए है आज तक उसकी आवाज में ऐसा जादू होता है की किसी के मुर्झाया चेहरा भी यु खिल जाता है जब मांँ की आवाज कानों में आती है सारी दुनिया से लड़ने की हिम्मत दे जाती है घर से निकल कर सर को झुका देते है मांँ का आशीर्वाद लेकर बिगड़े काम भी बना देते हैं बचपन में हो या हो बड़े आज भी मांँ के उस आंँचल में पड़े रहते है मुझे तो सुकून आँचल का मिलता है मांँ तेरी उस गोद में आ कर धनंजय शुक्ला✍ ©बेजुबान शायर shivkumar //सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती
//सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती
read moreParul Sharma
White फूल में गुलाब, धातु में सोना, पशु में गाय पक्षी में मुर्गी वृक्ष में खाद्य पदार्थ और लकड़ी और तुम सोचते हो लोग मोहब्बत यूं ही चुन लेंगे ©Parul Sharma #love_shayari #गुलाब #सोना #गाय #मुर्गी #वृक्ष #खाद्यपदार्थ #लकड़ी #मोहब्बत
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read moreबेजुबान शायर shivkumar
नमन मातृभाषा काव्य मंच दिनांक -१३/१०/२०२४ रावण """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""" सोना के लंका रावण के,बढ़ावय ओखर मान । श्रीराम किरपा ले जर गिन, ये काज करिस हनुमान ।। पुतरा जरा रावण के,सब जीत परब मनावय जी । अपनेच भीतरी के रावण ला , काबर नि जरावय जी।। जीत होइस श्रीराम के,होइस रावण के अंत । मिट गईस बुराइ जमों,खुशी मनाइस संत भगवंत।। पाप मिटिस स़ंताप मिटिस,अउ गईस हे अहंकार । जीत होइस सत् के,मिट गइस सबो अतियाचार ।। हिय में श्रीराम बसाई ले,मिटय दुःख अऊ संताप । हिरदे ले रावण भाव मिटाइके,करौ कभु झिन पाप ।। का रावण जस बेवहार,अब हमला नई दिखथे। रावण के अच्छाई ले, का कोनो कछु अब सीखथे।। पुतरा जराये ले का कखरो,मन मा बदलाव आथे। कलयुगी रावण ले अब, कोन हर बचा पाथे ।। जोहार संग समीक्षा खातिर पठोवत हंव 🙏🏻 ।। मोहित कुमार शर्मा अमलेश्वर दुर्ग छत्तीसगढ़।। ©बेजुबान शायर shivkumar भक्ति सागर भक्ति फिल्म जय श्री राम भक्ति गीत भक्ति ऑडियो गाना Sethi Ji puja udeshi Kshitija poonam atrey angel rai #कविता #कविता95 #बे