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Stories related to ठेउला रोग के हो

Uttam Bajpai

हिंदी कॉमेडीफनी संता सिंह के साथ गजब हो गया

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paimel preet kaur

इस रोग का कोई ईलाज नहीं है।#HeartTouching #Motivation poetry #TrueWords

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BRAHMRISHI SRIRAM

उदरी रोग प्रशमन

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ਸੀਰਿਯਸ jatt

#Dussehra रावण के पुतले में आग तभी लगाना जब आप रावण के बराबरी हो!

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White  सुनिये दो पंक्ति रावण के संदर्भ मे! 

"के माना हुआ था पाप मुझसे पराई स्त्री को लंका लाया था, मरियाद की रेखा में रहते हुए उसको पटरानी बनाना था " ये तो नियति थी मरीयादा पुरषोत्तम के हाथो से मेरा वध निश्चित है परंतु आज के कायर और मुर्ख लोग मेरे पुतले में आग लगाते है बताओ मुझे क्या वो मेरी तराह ज्ञानी कह लाते है? 
एक हाथ से औरत की इज़्ज़त उतारते है दूसरे हाथ से मेरे पुतले में आग लगाते है
ऐसा कलयुग आ गया! 
अगर में बहक गया तो कितना पापी हो गया!

©ਸੀਰਿਯਸ jatt #Dussehra रावण के पुतले में आग तभी लगाना जब आप रावण के बराबरी हो!

kavi Dinesh kumar Bharti

#टीका बन गया रोग कविता

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PrakashChandraKumar

#love_shayari रात अँधेरी हो सजनी के हाथो में मेरा हाथ हो #प्रकाश_की_काश #1000followers #1k

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White रात अँधेरी हो सजनी के हाथो में मेरा हाथ हो  बस लेकिन कुछ याद में साथ हो मेरी हर कल्पना की नयी पहचान हों!

©PrakashChandraKumar #love_shayari रात अँधेरी हो सजनी के हाथो में मेरा हाथ हो  #प्रकाश_की_काश #1000followers #1k

Praveen Jain "पल्लव"

#Buddha_purnima जन्म मरण के रोग भगाये #nojotohindi

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M R Mehata(रानिसीगं )

#teachers_day अपनापन हो अपनो के लिए

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White जय माता दी 
🌼🌼🌼

अपने और पराये का भेद सिखाया है 

जीवन में कैसे रखे दोनो से मेल.... 

मीठा हो बोल परायो के लिए केवल 

अपनापन तो अपनो के लिए ही है 

केवल अच्छे से समझाया है.... 😪💔

©M R Mehata(रानिसीगं ) #teachers_day अपनापन हो अपनो के लिए

Heer

#रोग

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रोग 

ऐसा रोग लगा मुझे की, अब नहीं दिखता कोई अपना,
जकड़ा मुझको इसने ऐसे की, रहा न कोई अपना। 

छाया अब घनघोर अंधेरा, कैसी दुविधा है आई, 
चारो ओर उदासी है लाई, इंतजार जीवन भर पाया। 

चेहरे पर खुशी नहीं अब, ऐसा साल आया अब, 
पैसे रहा न अपने रहे,रहा न कोई अपना। 

शुरुआत में लगा मुझे भी, सलामत घर को लौट जाऊंगा,
सब कुछ ठीक फिर हो जायेगा,पहले जैसा बन जायेगा। 

लेकिन फिर अचानक से,  इस बीमारी ने अपना रंग दिखाई, 
दिखाया मुझको फिर आइना, मुझसे मेरी पहचान कराई। 

अब पूछते है एक दूसरे से, कब होगा सब पहले जैसा, 
कब तक रहेगा सब ऐसा, 
हर सुबह करते है अब सब, सवाल नए एक दूसरे से। 

कही ऐसा न हो जाए, उड़ जाए पंछी अकेला, 
रह जाए बस खाली पिंजरा, 
समझ आया जब रोग ये लगा, रहा न कोई अपना। 

Alfazii 🖊️💙

©Heer #रोग

Uttam Bajpai

#Funny लड़का लड़की शीशे के सामने खड़े हो

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