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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी घुटन कियो लिबासों में हो रही है फेशनो के नाम पर नंगेपन की नुबायस हो रही है सादगी अंगों की बनी रहे सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे लगता है बाजारू रुख असभ्यताओ को निमंत्रण दे रहा है फले फूले बाजार,कट लिबास कर अंगप्रदर्शन को तज्जबो दे रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #chaandsifarish सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे
#chaandsifarish सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे
read moreQaseem Haider Qaseem
White तेरी ख्वाहिश के वास्ते हमने अपने अरमान मार डाले है Qaseem Haider Qaseem ©Qaseem Haider Qaseem #sad_quotes तेरी ख्वाहिश के वास्ते हमने अपने अरमान मार डाले है Qaseem Haider Qaseem
#sad_quotes तेरी ख्वाहिश के वास्ते हमने अपने अरमान मार डाले है Qaseem Haider Qaseem
read moreShashi Bhushan Mishra
आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#
#आस्तीन के सांप बहुत थे#
read moreVandana Rana
White बचपन में कहते थे कि हम अपने जुनून के पीछे भागेंगे, क्या पता था कि सिर्फ़ बचपन वाले सुकून के पीछे भागेंगे। ©Vandana Rana बचपन में कहते थे कि हम अपने जुनून के पीछे भागेंगे, क्या पता था कि सिर्फ़ बचपन वाले सुकून के पीछे भागेंगे।
बचपन में कहते थे कि हम अपने जुनून के पीछे भागेंगे, क्या पता था कि सिर्फ़ बचपन वाले सुकून के पीछे भागेंगे।
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