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Shubham Mishra
White बैठकर बेवफाई के आहों तले उसके जाने का मातम मनाता रहा सुनने वाला बचा था मुझे न कोई फिर अकेले ही मैं गीत गाता रहा गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा... सुुबह में शाम में डूबता जाम में जिंदगी जी रहा था मैं गुमनाम में कोई पागल कहे और अवारा कोई सबको सुनता और आंसू बहाता रहा गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा... मैं था राही भटक कर कहां खो गया लोग कहते हैं मै क्या से क्या हो गया छिप रहीं मेरी चीखें जो बेबस बनीं उनको गीतों में लिखता और गाता रहा गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा... तेरी यादों में गिरते जो आंसू मेरे उनको इक इक संजोकरके गढ़ता रहा तेरे मिलने बिछड़ने के पत्रों को मैं रात भर जाग करके यूं पढ़ता रहा अपने गिरते हुए आंसुओं में भी मैं याद करके तुम्हें मुस्कुराता रहा सुनने वाला बचा था मुझे न कोई फिर अकेले ही मैं गीत गाता रहा गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा...... ©Shubham Mishra #sad_shayari shubham mishra
#sad_shayari shubham mishra #कविता
read moreShubham Mishra
White निगाहों को चुराने की अदाकारी भी रखती है, मै किसको देखता हूं ये भी अच्छे से परखती है, बहाने खूब बनाती है मुझे न चाहने के वो, मै उस पर मर रहा हूं ये सबसे कहती रहती है। कभी ऐल्बम से अपनी वो पुरानी फोटो लाती है, कभी मेहंदी से अक्षर नाम का पहला लिखाती है, दिखावा मस्ती का करके मुझे खुद देखती रहती, मै उस पर मर रहा हूं ये सबसे कहती रहती है। बहुत नटखट है प्यारी है बहुत मासूम लगती है, किसी के प्यार में पागल वो अब मरहूम लगती है, मुझे भी अच्छी लगती है गवारा ये नहीं करता, मगर वो जितना कह रही मैं उतना भी नहीं मरता। ©Shubham Mishra #Love Shubham Mishra
Love Shubham Mishra #कविता
read moreRajbali maurya
White बुद्ध का मार्ग सत्य का अनुभव करना है ६. बोधि प्राप्त करके बुद्ध ने यह अनुभव किया कि बुद्धि से या भक्ति से मुक्त नहीं हुआ जा सकता है, कोई व्यक्ति मुक्त तभी हो सकता है जब वह अनुभूति के धरातल पर सत्य का अनुभव करता हो। विपश्यना के अभ्यास से प्रज्ञा प्राप्त की जा सकती है। कोई प्रवचन भले सुन ले, धार्मिक ग्रंथ भले पढ ले और बुद्धि का प्रयोग करके भले यह समझ ले कि हां - बुद्ध की शिक्षा अद्भुत है, उनके द्वारा बतायी गई प्रज्ञा अद्भुत है, लेकिन ऐसा कहने से प्रज्ञा का साक्षात्कार नहीं होता। ... नाम और रूप का सारा क्षेत्र - छह इंद्रियां और उनके अलग-अलग विषय सभी अनित्य हैं, दुःख हैं तथा अनात्म हैं। बुद्ध का उद्देश्य था कि हम सभी इस सच्चाई का अपने भीतर अनुभव करें। इस काया के भीतर सच्चाई को पर्यवेक्षण करने के लिए उन्होंने दो क्षेत्रों को निर्दिष्ट किया। एक तो रूप है, काया है यानी, भौतिक संरचना और दूसरा नाम है या मन है जिसके चार अंग हैं, विज्ञान, संज्ञा, वेदना और संस्कार। बुद्ध ने दोनों क्षेत्रों के पर्यवेक्षण के लिए कायानुपस्सना और चित्तानुपस्सना की विधि बतायी। ~ सत्यनारायण गोयनका ©Rajbali maurya anubhav
anubhav #विचार
read moreVishal Devgan
#Anubhav... #vd_acting brothersbarhajiya😈🌏😡👉 virlpost😉❤️❤️ #Insagram explorepage✨ #dailog #Actingclass #फ़िल्म
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read moreShubham Mishra
White नई नश्लों के आंखो की कहां खोई रवानी है, पढ़े हैं सैकड़ों पन्नें फिर क्यूं बदजुबानी हैं, बुजुर्गों के अनादर में मजा भरपूर आता है, नशे में डूबती दिखती भला कैसी जवानी है। ©Shubham Mishra #Sad_shayri shubham mishra
#Sad_shayri shubham mishra #कविता
read moreShubham Mishra
White है लगती भूख अंगों की जिश्म की चाह रहती है, जिंदगी जाम में फिर शाम की परवाह रहती है, निगाहो में बसाते रूप रंगों के खिलौने और , बदन को देखते ही सिसकियां भी आह कहती हैं। ©Shubham Mishra #sociaty Shubham Mishra