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एस पी "हुड्डन"

सोचता  हूँ  कभी  कि शहर चला जाऊँ,
गाँव घर  पे  ढहा  के  कहर चला जाऊँ।
मगर! आंगन  में मैंने जो पाले हैं पालतू,
कैसे? उन्हें पिला कर ज़हर चला जाऊँ।

©एस पी "हुड्डन" #गाँव_शहर

s गोल्डी

गाँवे के लोग कहे लइका तहार नमूने ह बड़का तनी भोला-भला छोटका अफलातुने ह......

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गाँवे के लोग पापा जी से कहे 
लइका तहार नमूने ह
बड़का तनी भोला-भला 

छोटका अफलातुने ह......

©s गोल्डी गाँवे के लोग कहे
लइका तहार नमूने ह
बड़का तनी भोला-भला 
छोटका अफलातुने ह......

MiMi Flix

"छाया का रहस्य" - एक शांत गाँव में हर रात एक रहस्यमयी छाया हर घर के पास मंडराती है, जिसे देख सभी हैरान हैं। अजय, एक जिद्दी पत्रकार, इस छाया

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MiMi Flix

"राजा का अद्भुत खजाना – अनमोल धरोहर, गाँव की खुशियाँ, और अद्वितीय संपत्ति" - बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव में एक राजा का शासन था, जो अपनी

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"ब्रीज़ी का बड़ा साहसिक अभियान – पांडा शावक पिपिन की खोज और जंगल की चुनौती" - हिमालयी पर्वतीय क्षेत्र में बसा एक गाँव, जहाँ पांडा खुशहाल रहत

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MiMi Flix

"मीठी की सच्ची मित्रता, रहस्यमय घटना और दो नायकों की अनोखी यात्रा: Heartwarming and Inspiring Adventure" - गाँव में एक अजनबी शेरू की एंट्री

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miss_radha

#गाँव

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल  मौत थीं सामने  ज़िन्दगी चुप रही  दर्द के दौर मैं  हर खुशी चुप रही   जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को  बंद आँखें  वही मुखबिरी चुप रही 

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White ग़ज़ल 
मौत थीं सामने  ज़िन्दगी चुप रही 
दर्द के दौर मैं  हर खुशी चुप रही 

 जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को 
बंद आँखें  वही मुखबिरी चुप रही 

दीन ईमान वो बेच खाते  रहे 
जिनके आगे मेरी बोलती चुप रही 

बोलियां जो बहुत बोलते थे यहाँ
उन पे कोयल की जादूगरी चुप रही

वो जो मरकर जियें या वो जीकर मरें
देखकर यह बुरी त्रासदी चुप रही ।।

बाढ़ में ढ़ह गये गाँव घर और पुल ।
और टेबल पे फ़ाइल पड़ी चुप रही ।।

देखकर ख़ार को हम भी खामोश थे ।
जो मिली थी प्रखर वो खुशी चुप रही ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR 
ग़ज़ल 
मौत थीं सामने  ज़िन्दगी चुप रही 
दर्द के दौर मैं  हर खुशी चुप रही 

 जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को 
बंद आँखें  वही मुखबिरी चुप रही 

Comrade PREM

गाँव सबसे प्यारा

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