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Stories related to राजाला साथ द्या सोंग

DANVEER SINGH DUNIYA

#sad_qoute साथ

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White मैंने समझाया बहुत उसे वह हठ पर उतर गई
बाप को छोड़ना पड़ा मां अपने आप उतर गई
मत-भेद हो  गया तो वह मुझे छोड़ सकती है
मैं एक-एक पाई जोड़ता रहा वो पैसे उतर गई 
वैसे तो साथ था ज़िन्दगी भर साथ निभाने का
पंचायत में  सही बताते वह बातों से मुकर गई

©DANVEER SINGH DUNIYA #sad_qoute साथ

Mahesh Patel

सहेली... साथ... लाला....

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Kalpana Srivastava

#साथ

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White कभी मैंने भी मांगा था
 टूटते तारे से तुम्हारा साथ,
देखो न मैंने तो ये सोचा ही नहीं था
 कि जो खुद टूट गया हो 
वो हमें क्या खाख़ साथ रखेगा।

©Kalpana Srivastava #साथ

Urmeela Raikwar (parihar)

#Couple तेरे साथ

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White सूरज अपने घर चला,  तारे निकल आये, 
अँधेरे खुद पसरने लगे,
 तेरे साथ तो हम इस अंधियारे से बाहर आ जायेंगे, 
एक प्रेम कहानी हम भी अपने नाम की लिख जायेंगे ,,

by
Urmee Ki Dairy

©Urmeela Raikwar (parihar) #Couple तेरे साथ

Nurul Shabd

#साथ #रहता #था #मगर साथ #नहीं था मेरे,

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Shashi Saini

Shashi Bhushan Mishra

#साथ साथ कुछ वक़्त गुज़ारा होता#

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दिल से एकबार पुकारा होता, 
हम-नवाँ  और  नजारा  होता, 

पलटकर देख ही लेते ख़ुद से, 
रह-ए-उल्फ़त में सहारा होता, 

हुस्न होता न  खतावार कभी, 
इश्क  तुमसे ही  दुबारा होता, 

तिश्नगी बुझती तसल्ली होती, 
आँखों आँखों में इशारा होता,

रहगुज़र बनके साथ चलते तो,
बीच दरिया भी  किनारा होता,

इस क़दर  बेकसी  नहीं होती, 
साथ कुछ वक़्त गुज़ारा होता,

चाँद  मेहमान न बनता 'गुंजन',
ख़्वाब अबतक न कुवांरा होता,
 ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
         प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra #साथ साथ कुछ वक़्त गुज़ारा होता#

tanya ambastha

arvind bhanwra ambala. India

साथ

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nisha Kharatshinde

जगा अन् जगू द्या

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जगा अन् जगूद्या

सध्या पन्नाशीही पार करणे
खूप अवघड झालंय
अन् आत्महत्या करणे
अगदी सोपं झालंय

पंचवीस वर्षाच्या नात्याला
किंमत राहिली नाही
दोन वर्षाच्या प्रेमासाठी
कुणी आईचाही उरला नाही

त्या रागापुढे सर्वच शून्य
अहंकाराने डाव साधला
वेदनांनी आवाज न करता
भावनांचा गळा घोटला

दुनियेचं हसू होईल
अन् इज्जतीचा पंचनामा
समजून घेऊ जग म्हणतं
अन् पडद्याआडून जाहीरनामा

इथं कुणी कुणाची निंदा करते
स्तुती मात्र क्वचित
तिरस्काराने एकमेकांच्या
संपली माणुसकीही निश्र्चित

अफवांवर पांघरुण घालणारे
पडतात फसवणुकीत बळी
माहेर आहेर संपलय आता
जन्मत:च खुंटते कळी

जगा अन् जगूद्या सर्वा
या महामारीच्या परिस्थितीत
अत्यल्प आयुष्य उरलय
बदल करा  मनस्थितीत

✍️ निशा खरात/शिंदे
       (काव्यनिश)

©nisha Kharatshinde जगा अन् जगू द्या
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