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Stories related to बनाती हूं

Poet Kuldeep Singh Ruhela

#love_shayari #कभी खामोश रहता हूं कभी में गुनगुनाता हूं तेरी चाहत के समंदर में हमेशा में डूब जाता हूं में बदनसीब हूं तेरी चाहत के नशे मे

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White #कभी खामोश रहता हूं 
कभी में गुनगुनाता हूं
तेरी चाहत के समंदर में
 हमेशा में डूब जाता हूं 
में बदनसीब हूं तेरी चाहत 
के नशे में यार फंस जाता हूं
तेरी महफिल में आके अपनी
चाहत के किस्से सबको सुनाता हूं

©Poet Kuldeep Singh Ruhela #love_shayari #कभी खामोश रहता हूं 
कभी में गुनगुनाता हूं
तेरी चाहत के समंदर में
 हमेशा में डूब जाता हूं 
में बदनसीब हूं तेरी चाहत 
के नशे मे

paimel preet kaur

ना खुशी ख़रीद पाता हूं ना गम बेच पाता हूं #Motivation #TrueWords

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chahat

मुस्करा देती हूं

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White  अपने आंसुओ को,छिपाने मुस्करा देती हूं।
दिल में चुभती कोई बात,उसे छिपा लेती हूं।।
किसी का दर्द ना बनूँ,सबको विश्वास बना लेती हूं।
टूट जाती हूं कांच सी,बिखर के फिर सिमट जाती हूं।।
कोई राह नहीं क्युकी,इसलिए बस निभाती हूँ।
अपनी मंजिल तो पता है,पर ठहर जाती हूं।।
ठहर जाती क्युकी कर्तव्यों से, बंधा पाती हूं।
में वो डोर हूं,जो बस काट दी जाती हूं।।
कभी अच्छी कभी बुरी की परिभाषा बन जाती हूं।
कभी बातों में कभी सोच में लिख दी जाती हूं।।
मैं कहाँ खुद को खुद सा पाती हूं। 
अनपढ़ सी मै कहाँ किसी को पढ़ पाती हूं।
शिल्पी हूं खुद मूर्ती बन गढ़ दी जाती हूं।
आकार देकर कल्पनाओ का रंग दी जाती हूं।।  
                    शिल्पी जैन सतना

©chahat मुस्करा देती हूं

prem shanker noorpuriya

गुल हूं गुलशन का

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White प्रेम का चुंबन बन मैं जगमगाता हूं,
फिर कहीं पन्नों में दबाया जाता हूं।
रहता तब भी साथ करुण कहानी में 
बिछड़ जाता अपना कोई रवानी में।
संदेश बन जाऊं तब मैं अनशन का,
मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya गुल हूं गुलशन का

Satish Kumar Meena

मैं कसम खाती हूं

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Poetry-Meri Diary Se

#good_night अकेला हूं मैं@#

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White अकेला हूं मैं...
इस भीड़ में भी अकेला तन्हा हूं मैं,
मालूम नहीं मगर क्यों अपनों की महफिल अब अच्छी नहीं लगती!
चेहरे तो सभी अपने हैँ और मुस्कुराता हुआ,
मगर उन चेहरे के पीछे कोई अनजान छुपा हैँ!
जब तक जेबे भड़ी थी तब तक,
अपनों का डेरा खूब लगा हुआ था!
आज जेब जिस तरह से गायब हुई,
मालूम नहीं सब कहां ख़ो गए!
Written By-ABi Aman.

©Poetry-Meri Diary Se #good_night अकेला हूं मैं@#

मिहिर

लिख देता हूं

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White जब कभी कुछ कह नहीं पाता 
उसे लिख देता हूं
जब बेचैनियां बातों से आंखों से बह नही जाता 
जो रह जाता है उसे लिख देता हूं 
भागती दुनिया में कभी लगता है पहाड़ या पेड़ हो गया हूं
अपनी जड़ता लिख देता हूं 
या फिर कभी लगता है नदी या हवा सा बह रहा हूं 
तो उस बहाव को लिख देता हू
जब अंदर और बाहर सिर्फ खामोशी हो
तो उस खामोशी के शून्य को लिख देता हूं
जब खोने पाने की बीच कही उलझा होता हूं 
तो उलझन को कही लिख देता हूं
खुद से खुद को समझता रहूं समझाता रहूं 
इसलिए सब कुछ लिख देता हूं ।।

©मिहिर लिख देता हूं

Saddam

मैं भी इंसान हूं

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रोते रोते कब तक मुस्कुराऊंगी 
कब में रातों में सुरक्षित रास्तों पर चल पाऊंगी।
कब अपने हक के लिए अपने घर में बोल पाऊंगी। मैं भी इंसान हूं 
कब तक दुनिया को समझा पाऊंगी।

©Saddam मैं भी इंसान हूं

SK Naim Ali

मैं कोन हूं मैं कहां हूं।#love_shayari #sknaimali 'दर्द भरी शायरी'

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Heer

#women_equality_day #नारी हूं मैं

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White 
नारी हूं मैं......

जननी मैं, जीवन भी मैं, करूणा का सागर भी मैं,
माना जज्बातों पर जोर नहीं, मगर सशक्त हूं तलवार हूं मैं। 
हा नारी हूं मैं कमज़ोर नहीं मैं।

दर्पण मैं और अक्स भी मैं, झुक जाऊं ऐसी डाल नहीं मैं,
स्वाभिमान मुझे है प्यारा, आंखो का हूं में तारा। 
ऐसा कोई शख्स नहीं, जो टूट कर बिखर जाऊं मैं। 
हा नारी हूं मै आत्मनिर्भर भी हूं मैं। 

समझना ना मुझको अधूरी, मैं तो हूं खुद में पूरी, 
साथ अगर जो चलना हो तो, हाथ तभी तुम थामना,
पीछे हटना मुझे नहीं गवारा, एक बार पकड़ा हाथ जो। 
हा नारी हूं मैं अकेली नहीं।

©Heer #women_equality_day #नारी हूं मैं
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