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ARBAJ Khan
White शैतान की दासतान वे कहते है। जब आप आश की एक छोटी - सी उमीद निराशा में बदल जाती है। तब काली दुनिया से कोई हमारे लिए आएसान करने के लिए तैयार रहता है। फिर वों कहते है। ना हर आएसान की कोई न कोई कीमीत होती है। ©ARBAJ Khan काली दुनिया के शैतान के खोफ
काली दुनिया के शैतान के खोफ
read morePoonam Ahlawat
White चलने की कौशिक, लेकिन कदम भारी हैं। शांत रखने की कौशिक, लेकिन दिमाग में हलचल है। बोलने की कौशिक, लेकिन कंठ रुद्ध गया है। आँसुओं को रोकने की कौशिक, लेकिन आँखे नहीं मानती हैं। जिंदगी है ये कहाँ रुकती है, अपना हर रूप दिखती है । सुख की आशा में भागते हैं , लेकिन दुःख को कहाँ कम कर पाते हैं ©Poonam Ahlawat जिंदगी के रूप
जिंदगी के रूप
read moreSatish Kumar Meena
White रात में सोते समय सारी चिंताएं, घनी नींद के तले दबा देता हूं। नयी उम्मीद नयी आशा लिए, मैं उमंगों के पंख लगा लेता हूं।। ©Satish Kumar Meena उम्मीदों के पंख
उम्मीदों के पंख
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के तीर , प्रेम के वह रस घोले ।। ग्वाल-बाल का साथ , करे जिनका दुख आधा । वह ही है घनश्याम , चली जिनके सह राधा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के
कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सखा तुम आज , प्रेम हम तुमसे करते ।। आओ खेलो संग , हमारा निर्मल नाता । समझा दूँगा साँझ , चलो घर मैं गौ माता ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख
कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख
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मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव , दो इनको परिणाम । अब मुक्ति दिलाओ , राह दिखाओ , करता तुम्हें प्रणाम ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव , दो इनको परि
मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव , दो इनको परि
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White विधा :- वसनविशाला छन्द १११ १११ १२२ २२२ पशु सम बन नही आत्याचारी । नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।। चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी । फिर बन जगत में तू सम्मानी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा :- वसनविशाला छन्द १११ १११ १२२ २२२ पशु सम बन नही आत्याचारी । नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।। चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी । फिर बन ज
विधा :- वसनविशाला छन्द १११ १११ १२२ २२२ पशु सम बन नही आत्याचारी । नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।। चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी । फिर बन ज
read moreDR. LAVKESH GANDHI
खुशियों के पल जिंदगी में कभी-कभी खुशियों के पल आते ही रहते हैं ज़ब नाज करे दुनियाँ वह पल आ ही जाते हैं | ©DR. LAVKESH GANDHI #खुशियों के पल # #जिंदगी के हसीन पल #
खुशियों के पल # जिंदगी के हसीन पल #
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