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F M POETRY
White आजा मेरे ख्वाबों की महज़बीन शाम है.. आ देख मेरे साथ क्या हसीन शाम है.. तन्हाँ न समझ आएंगे रंगीन नज़ारे.. आ मैं तुझे दिखाता हुँ रंगीन शाम है.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #शाम है...
#शाम है...
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
White क्या धनतेरस क्या दीवाली। कैसी खुशियां और खुशहाली। चमक रौशनी के सब फीके - जीवन काजल जैसी काली। न उत्साह न कोई उमंग। खुशियों की नहीं कोई तरंग। मन आंगन सूना - सूना है - बुझी रौशनी उतरा रंग। अपनों के खोने का ग़म है। भीगी पलकें आंखें नम है। बुझा हुआ है आस का दीया- अंतहीन अंतस में तम है। दिन बेनूर सी बदली वाली। रात अमावस जैसी काली। कैसे मन का दिया जलाएं- कैसे मनाएं हम दीवाली। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #ग़म
Veer Tiwari
रात के 9:00 बज रहे हैं, और गाँव की गलियों में एक सुकून भरी ठंडक घुली हुई है। गली के दोनों किनारों पर लगी स्ट्रीट लाइट्स की रोशनी चारों ओर बिखरी हुई है, जो गाँव की सड़कों को चाँदनी जैसा उजाला दे रही है। गर्मी अब विदा लेने को है, और ठंडी हवा के झोंके जैसे इसे अलविदा कहने के लिए हर तरफ हाथ हिला रहे हैं। गाँव की यह रात किसी बड़े शहर की चहल-पहल से अलग है—यहाँ की सड़कों पर अब हल्की रौनक बची है। कहीं-कहीं लोग अभी भी अपने घरों के बाहर बैठकर हँसी-मज़ाक कर रहे हैं, और कहीं दूर से मोबाइल की धीमी-सी धुन सुनाई दे जाती है। खेतों के किनारे खड़े बिजली के खंभे और उनके तारों पर बैठी चिड़ियों की आवाज़ें अब शांत हो गई हैं, और सड़कों के किनारे लगे पेड़ हवा के साथ धीरे-धीरे हिल रहे हैं। चार-पाँच दिन बाद दिवाली है, और उससे पहले यह ठंडी रातें जैसे त्योहार का आगाज़ कर रही हैं। यह सिर्फ़ मौसम का बदलाव नहीं है, यह एक नई ताजगी और उम्मीद का संकेत है। जैसे ही हवा के झोंके पेड़ों से टकराते हैं, उनकी पत्तियाँ हौले से फड़फड़ाती हैं, जैसे गाँव का हर कोना इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहता हो। आसमान में चमकते तारे और एक साफ चाँद की रोशनी, स्ट्रीट लाइट्स की पीली चमक में घुल-मिल गई है। सड़कें अब लगभग खाली हैं, पर कुछ गाड़ियों की लाइट्स अभी भी गाँव की सड़कों को पार कर रही हैं। यहाँ की रातें अब बस आराम और सुकून की होती हैं, जहाँ लोग अपने दिनभर की थकान को भुलाकर थोड़ी देर ठंडी हवा में बैठे रहते हैं। गाँव का यह दृश्य—साफ सजी-धजी गलियाँ, बिजली की रोशनी, और चारों ओर फैली हल्की ठंड—मन को एक अलग ही सुकून देती है। यह आधुनिकता और गाँव की सादगी का एक सुंदर मेल है, जहाँ रातें सिर्फ़ आराम की नहीं, बल्कि एक नए एहसास की भी हैं। धूल और हवा में तैरती ठंडक, ये सब मिलकर एक नया सुर रचते हैं, जो सीधे दिल तक पहुँचता है। यहाँ की रातें, यह शांति, और हर जगह की अपनी कहानी—सब कुछ मिलकर एक ऐसा अनुभव रचती हैं, जो बहुत गहरा और मनमोहक है। यह गाँव का नया रंग है, जहाँ आधुनिकता के साथ गाँव की आत्मा बरकरार है, और हर रात उसकी अपनी ही एक नई कहानी बुनती है। ©Veer Tiwari गांव की एक शाम ....
गांव की एक शाम ....
read moreRameshkumar Mehra Mehra
White गुजार लेते है..... पूरा दिन दिखाबे की हंसी में...! शाम ढलते ही रो पडते है.....!! खुद की बदनसीबी पे..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # गुजार लेते है,पूरा दिन दिखाबे की हंसी में,खुद शाम ढलते ही रो पड़े है,खुद की बदनसीब पे...
# गुजार लेते है,पूरा दिन दिखाबे की हंसी में,खुद शाम ढलते ही रो पड़े है,खुद की बदनसीब पे...
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White ब-वक़्त-ए-शाम है खुश रंग दरिया का नज़ारा है... मगर महबूब मेरा इन नज़ारों से भी प्यारा है... यूसुफ आर खान.... ©F M POETRY #ब-वक़्त-ए-शाम है खुश रंग
#ब-वक़्त-ए-शाम है खुश रंग
read moresumeet raj
White दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है ©sumeet raj #Sad_Status #दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है #sumeetraj #sumeetworld
#Sad_Status #दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है #sumeetraj #sumeetworld
read moreHeartfeltWrites_
बड़ी लम्बी गुफ़्तगू करनी है, तुम आना, एक दिल ले कर, हर ख्वाब और हर जज़्बात, इक नई शुरुआत ले कर। हमने तो हर लम्हा तुझसे, एक पूरी उम्र सी बाँध ली है, तुमसे मिलने की चाहत में, हर रोज़ नई रातें ढाली हैं। दिल की गलियों में बिछी हैं, तेरी यादों की पुरानी राहें, चले आओ, इन खामोशियों में एक नई सवेरा लेकर। तेरे बिना ये धड़कनें भी, बस एक गूंज सी रह गई हैं, तुम्हारी यादों की महफिल में, हर बात अधूरी सी रह गई है। ©silent_03 #Hum बड़ी लम्बी गुप्तगु करनी है ♥️#lovepoetry#bateyn
#Hum बड़ी लम्बी गुप्तगु करनी है ♥️lovepoetrybateyn
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