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Stories related to विजयाराजे सिंधिया का परिवार

usFAUJI

भारतीय समाज की सबसे गम्भीर समस्या का समाधान #Family #परिवार #usfauji

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usFAUJI

परिवार, परिवार ही होता हैं #परिवार #Family #Relationships #Talking #usfauji #motivate

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एक बात बोलूं दोस्तों 
अगर परिवार में प्रेम से आपकी बात को कोई ना समझे 
तों गुस्सा या बुरा बोलने से कोई फ़ायदा नहीं होंगा।
बल्कि रिश्तों में दूरियां बढ़ेगी। और मान-सम्मान घटेगा।

इसलिए जितना संभव हों सकें 
अपनों से प्रेम से बोलों और उनका मान-सम्मान रखों।
क्योंकि परिवार, परिवार ही होता हैं।
जों जन्म और मृत्यु तक रहता है।
जय हिंद 🇮🇳🇮🇳

©usFAUJI परिवार, परिवार ही होता हैं #परिवार #Family #Relationships #Talking #usfauji #motivate

Parasram Arora

घर परिवार

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White पहले  थोड़ी कमाई से भी वृहद परिवार 
का भरन्न पोषणआराम हो जाता था 

लेकिन आज लूट खसोट वाली कमाई करने के बावजूद घर परिवार  मुश्किल से चल पाता है

©Parasram Arora घर परिवार

Anuradha T Gautam 6280

परिवार का #एक_व्यक्ति ही सारे परिवार का #संतुलन बिगाड़ देता हैं..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🙆🏻‍♀️ 👬👵🏻👫🏻 🧑🏻‍🦰👫🏻👩🏻‍🦰........

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MEET (मीत)

परिवार टूटे हुए

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Lakhan Rajput BJP

इंडिया और बांग्लादेश मैच ग्वालियर ज्योतिराज सिंधिया जी स्टेडियम

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प्रणाली कावळे

#Sad_Status माझे विचार notojo मित्र परिवार

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White कभी किसी का हक्क मत छिनिये नहीतो ओ उपर वाला सबकुच छिनलेता हे

©pranali kawale #Sad_Status  माझे विचार notojo मित्र परिवार

Dr. Bhagwan Sahay Meena

#good_night परिवार

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White अगर खुद के शौक से ज्यादा परिवार की खुशी की चिंता करते हो....
तो जिंदगी को समझ चुके हो तुम...

©Dr. Bhagwan Sahay Meena #good_night परिवार

Akriti Tiwari

परिवार पर कविता । कविता कोश

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White क्या होता है अपनों के न होने का दर्द?


अपनों के न होने का दर्द बयां करती हूं, 
जिंदगी में एक अच्छा दोस्त ना होने 
 के कारण दर्द बयां करती हूं l
अपनी जिंदगी पूरे मौज में जी रही थी l
कोई रोकने टोकने वाला नहीं था l
इसलिए दर्द और भटकती जा रही थी l


सुबह-सुबह उठकर जल्दी से जा रही थी,
अचानक आवाज आई, पीछे अपना 
जैकेट तो ,ले लो मुझे लगा मेरी 
मां बोल रही हैl किचन से जिसके 
हाथों में सन आता होगा l
क्या पता था? पीछे देखेगी 
तो वहां सिर्फ  सन्नाटा होगाl


जैन की आदत मेरी देर से  रोज देर 
से जगती हूंl सुबह में जागते थे, 
पापा मेरे उन्हीं के यादों में सोती हूं। 
एक दिन आवाज आई अरे जाग जा 
कितनी देर सोएगी तुम्हें वक्त का पता नहीं 
लगा यह आवाज पापा जी  का ही होगा 
मुझे क्या पता था? आंखें खोलकर देखूंगी तो
खुला सिर्फ दरवाजा होगा। 


प्रतिदिन सुबह-सुबह पूजा करके,घंटी बजती थी।
दादी मेरी, एक दिन सुन घंटी की आवाज 
को खुशी से झूम उठी बाहरआकर 
देखी मंदिर सूना पड़ा था।
जो घंटी की आवाज सुनी थी, 
वह तो स्कूल वाला था ।

किस भूलूं किस याद करूं, यही सोच लिए तड़प रही हूं। कभी मन तो कभी, पापा व परिजनों 
 को याद किए जा रहे हूं। किसी से नहीं 
कर सकती अपना दर्द बयां,
इसलिए सभी दर्द छुपा कर चली जा रही हूं।
चली जा रही हूं, चली जा रही हूं।

©Akriti Tiwari परिवार पर कविता । कविता कोश

Vivek Pandey

#हम गरीब है साहब, अपनी ख्वाइशों का गला घोट कर, परिवार का पेट भरना बखूबी जानते हैं!

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