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धाकड़ है हरियाणा
CHOUDHARY HARDIN KUKNA
person
गीता में, श्रीकृष्ण अर्जुन को अपनी ब्रह्मविद्या द्वारा जीवन के मार्ग के बारे में बोध करते हैं। काम (लोभ), क्रोध और लोभ को तीनों नरक द्वार कहा गया है। इन तीनों गुणों के द्वारा मनुष्य को अनिष्ट का अनुभव होता है और यह उसे सांसारिक बन्धनों में फंसा देते हैं। पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार। क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं ©person पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं अवगुण और अहंकार, घमंड, लालची स्वभाव ,
पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं अवगुण और अहंकार, घमंड, लालची स्वभाव ,
read moreGhumnam Gautam
White नयन के गाँव नैनों का कोई पैग़ाम आया तो! तुम्हारे सिक्त अधरों पर हमारा नाम आया तो! कि तय है रास की रचना पुनः इस पुण्य भारत में कलुष हरने को राधा सँग कोई घनश्याम आया तो ©Ghumnam Gautam #Thinking #घनश्याम #पुण्य #ghumnamgautam
#Thinking #घनश्याम #पुण्य #ghumnamgautam
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब कुछ न कुछ किसी न किसी कारण से कुछ भी करते रहते हैं, तो अकारण राम कहो, या घनश्याम कहो, हम तुम सब यहां अंजान है, पर राम धोड़े ही अनजान हैं, आज से नही आदि -अनादि संसार में राम ही राम समाया है, अन्य कोई नहीं है, चाहे तुम मानो या न मानो वो ही एक सैकड़ों जन्मो से हमारा है, किसी जीव को खाना 100 किलो, किसी को कितना, पहाड़ो में, समुद्र में, चराकर जगत में देता है, प्रतिदिन केवल वो ही सबका पालनहार है, और सदियों से है, सदियों तक रहेगा।। चाहे राम कहो - चाहे कहो घनश्याम। केवल एक वो ही हमारा सदियों से आज तक अभी तकहैं।। जय श्री राधेकृष्ण जी।। N S Yadav GoldMine. ©N S Yadav GoldMine #Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब कुछ न कुछ किसी न किसी कारण से कुछ भी करते रहते हैं, तो अकारण राम कहो, या घनश्याम कहो, हम तुम सब यह
#Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब कुछ न कुछ किसी न किसी कारण से कुछ भी करते रहते हैं, तो अकारण राम कहो, या घनश्याम कहो, हम तुम सब यह
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के तीर , प्रेम के वह रस घोले ।। ग्वाल-बाल का साथ , करे जिनका दुख आधा । वह ही है घनश्याम , चली जिनके सह राधा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के
कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के
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