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Jansurajharnaut
राहुल गांधी को इतना घमंड है कि राष्ट्रपति जी का अभिवादन तक नहीं किया। सिर्फ इसलिए क्योंकि वो जनजातीय समाज से आती हैं, महिला हैं और राहुल गां
read moreGanesh Din Pal
White मेरा जीवन संघर्ष बना आजादी में हो गया फना जीवन का तान बना चरखा आजादी का रंग मैंने परखा तुम भूखे नंगे मत रहना जब आन पड़े तो लड़ पढ़ना औजार अहिंसा का लेना मानवता को जीने देना। ©Ganesh Din Pal #गांधी जी और अहिंसा
#गांधी जी और अहिंसा
read morePoonam Ahlawat
White सत्य और अहिंसा के पुजारी, एक ही बात बार-बार पुकारी, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो ©Poonam Ahlawat गांधी जी के विचार
गांधी जी के विचार
read moreVs Nagerkoti
White जरुरी नहीं की हर कोई आपसे बदले की भावना रखे। वैसे भी इतना वक्त किसके पास है । कई बार आपके साथ जो भी होता है वो आपके द्वारा किए गए कर्मों की ही सजा होती हैं । जब इश्वर ने भी स्वयं ये सजा झेली है। तो फिर आप क्या चीज है । इसलिए जब भी आपके जीवन मै बुरा वक्त आए तो ये जरूर सोचें कि आंखिर गलतियां कहां पर हुई है । कई बार हम गलत नहीं होते ये हमारा इम्तिहान भी होता है । जिसके जरिए हम कुछ सीख रहे होते है । कुछ खास बातें,,, ©Vs Nagerkoti #Sad_Status कुछ ख़ास बातें,, जब आप किसी को कुछ देते हैं वापस लेकर ही मानते हैं । तो आपके कर्मो का भुगतान कोन करेगा,,,,
#Sad_Status कुछ ख़ास बातें,, जब आप किसी को कुछ देते हैं वापस लेकर ही मानते हैं । तो आपके कर्मो का भुगतान कोन करेगा,,,,
read moreharsha mishra
White जन्मभूमि राम की, राम को ना जानते। कुछ मंदबुद्धि है यहां, जो राम को ना मानते । जन्म भूमि राम की, और राम को न जानते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां , जो राम को ना मानते । रघुकुल की एक मर्यादा थी, वचनों पर जीवन सादा थी। दुःख की सीमा का अंत नहीं सुख जैसे आधा आधा थी। खुद भगवन जिसके कायल थे ये उन पर कीच उछालते। कुछ मंद बुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते। जो शिव धनुष को तोड़े थे, जो सबको पीछे छोड़े थे। जो शिव धनुष को तोड़े थे, जो सबको पीछे छोड़े थे। कुछ मानवी पिशाच हैं, जो देव को ललकारते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते । जो लांघ गई अग्नि को, जो धरती में विलीन है। जो लांघ गई अग्नि को, जो धरती में विलीन है। यह मांगते हैं साक्ष्य, और अंजाम को न जानते । कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते । जो धू - धू करके जल गई , वह लंका भी एक गाथा है । जो धू धू करके जल गई, वह लंका भी एक गाथा है । कलयुग के रावण तुम सुन लो, हमें मजा चखाना आता है। जिसके वीर भक्त हनुमान हुए, तुम उनको ना पहचानते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते। थे राजपूत पर दंभ न था, वानर, केेंवट भी मित्र हुए। पग जहां जहां भी राम धरे धरती से नभ सब इत्र हुए। गुणगान नहीं कर सकते हैं, ये अपनी राग आलापते। कुछ मंदबुद्धि हैं यहां, जो राम को ना मानते। कुछ मंद बुद्धि हैं यहां, जो खुद को ना पहचानते। ये श्री राम को ना जानते। हर्षा मिश्रा ©harsha mishra ये श्री राम को ना मानते,,,,,,
ये श्री राम को ना मानते,,,,,,
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