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Ajita Bansal
White दर्द ने सिखाया खुद से मिलना, राहों में खो जाने से पहले, ख़ुद को जानना ज़रूरी है, तब जाकर कोई सही रास्ता लगे। हर ख्वाब का पीछा करते हुए, सपनों में खो जाते हैं हम, लेकिन जब वो टूटते हैं, तब महसूस होता है, हम कहाँ थे, कहाँ हम। अक्सर दूसरों की नज़र से ही जीते हैं हम, पर सच्ची पहचान तो अंदर से आती है। जो खुद को समझे, वही खुद को पा सकता है, बाकी सब तो बस एक छलावा होता है। अब मेरी आँखों में बस एक सवाल है, क्या मैं सचमुच खुद से प्यार करता हूँ? जब तक ये सवाल हल नहीं होगा, ख़ुद के ही हाल में, ख़ुद से जूझता रहूँगा। ©Ajita Bansal #Sad_Status poem of the day
#Sad_Status poem of the day
read moreSchizology
My greatest friend Many years ago I met you I didn't know at the time You would be my best friend More than a regular canine You would shake both paws And could speak or whisper You loved to go swimming I swear you were like flipper You had tonnes of tennis balls And bones of all shapes and sizes Random stuffed toys ripped apart Watching you chew was priceless Blankets on the clothesline Were your favourite thing Pulling them down to lay on Calmly thinking it was nothing Chasing trains and motorcycles Along the fence you would run Hoping you would catch one Making you proud to have won You adored all other dogs too You wanted to make friends Never hostile with other ones For that I greatly commend Memories of you will last eternally Kind , gentle and so friendly The greatest buddy I've known Like your name - Bear, my teddy ©Schizology My greatest friend #Friend #poem✍🧡🧡💛 #Dog poetry in english
Ajita Bansal
White वो रास्ते भी क्या रास्ते थे, जो हमें मंज़िल तक ले जाते थे। कभी धूप में, कभी छाँव में, हम चलते रहे, सफ़र के साथ। हर मोड़ पर, हर इक ठहराव में, मिले हमसे कुछ किस्से नए। कभी हँसाए, कभी रुलाए, वो रास्ते भी हमें सिखाते गए। कभी ठोकरें खाईं, कभी गिरकर उठे, मंज़िल की ओर बढ़ते गए। वो रास्ते हमें समझाते रहे, कि संघर्ष ही है असली जीत का रास्ता। ©Ajita Bansal #Thinking poem of the day
#Thinking poem of the day
read moreAakansha shukla
दोस्त के लिये क्या लिखूॅं? दोस्त ही कलम है, दोस्त ही कागज है, दोस्त ही है शब्द, मेरी कविता के। दोस्त के लिये क्या लिखूॅं? दोस्त से शुरू है, दोस्त से ही अंत है, दोस्त से ही बनती, मेरी कविता है। दोस्त के लिये क्या लिखूॅं? दोस्त ही शान है, दोस्त ही जान है, दोस्त ही है सम्मान, मेरी कविता में। दोस्त के लिये क्या लिखूॅं? दोस्त ही मुस्कान है, दोस्त ही आवाज़ है, दोस्त ही है जीवन, मेरी कविता से। ©Aakansha shukla #Friend