Nojoto: Largest Storytelling Platform

New राखी सावंत अनूप जलोटा Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about राखी सावंत अनूप जलोटा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, राखी सावंत अनूप जलोटा.

Stories related to राखी सावंत अनूप जलोटा

बेजुबान शायर shivkumar

#navratri #navratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #कविता95 #नवरात्रि भक्ति सागर भक्ति भजन भक्ति संगीत भक्ति गीत भक्ति गाना Sethi Ji Ks

read more
===========================
       ब्रह्मचारिणी की चरणों में करें बंदगी 
===========================

त्याग सती स्वरूप यज्ञ वेदी में,
        हिमेश घर जन्मीं ब्रह्मचारिणी रूप।
करने शिव को प्रसन्न तपस्या, 
       की हैं दृढ़-कठोर हजारों वर्ष अनूप।।

ब्रह्मचारिणी तप की चारिणी,
        दाएं हाथ माला बाएं में है कमंडल।
श्वेत वस्त्र,ज्ञान,ध्यान,वैराग्य से,
        तपस्विनी की ओजस्वी प्रभामंडल।।

ब्रह्म को तप से धारण कर लेवें,
       वही पावन आत्मा तो है ब्रह्मचारिणी।
सुफल समर्पित पुरुषार्थ दिलाते,
      आयु,आरोग्य,अभय,सौभाग्य भरणी।।

तो नवरात्रि द्वितीय दिवस आओ,
    ब्रह्मचारिणी की आशीष हेतु करें युक्ति।
माॅंं तपस्या की मर्मज्ञ इस जगत में,
    दिलाएगी मोह-माया तनाव से मुक्ति।।

नवरात्रि नित्य नव तप के साधन,
      तपोबल से हष्ट-पुष्ट होते हैं तन-मन।
ब्रह्मचारिणी की आराधना भक्तों,
     ईश्वर को समर्पित पावनतम जीवन।।

तो आज अपनाऍं हम भी सादगी,
     संवारने ए कोहिनूरी हीरा जिंदगानी।
छल-कपट-प्रपंच से मुक्त होकर,
      ब्रह्मचारिणी की चरणों में करें बंदगी।।

==========================

©बेजुबान शायर shivkumar #navratri #navratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #कविता95  #नवरात्रि  भक्ति सागर भक्ति भजन भक्ति संगीत भक्ति गीत भक्ति गाना  Sethi Ji  Ks

Satish Kumar Meena

@नादानी की राखी

read more

धाकड़ है हरियाणा

#अब माफ़ी मांग रही है नैना चौटाला #हिसार #उकलाना #नैना चौटाला के बिगड़े थे बोल #अनूप धानक को कहा था काला नाग #काले नाग जैसी काली सकल बताई थी

read more

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष

read more
गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile