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Stories related to साडा वीर

IG @kavi_neetesh

हिंदी कविता Hinduism मराठी कविता देशभक्ति कविता देशभक्ति कविताएँ *सरदार पटेल जयंती पर शत शत नमन* 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ *काम कि‍या जो वल्‍लब जी

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Shiv Narayan Saxena

#rajdhani_night वीर कोन ये.....

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White नाच न जाने ऑंगन टेढ़
पास नहीं होगी यह भेड़.

बार - बार करते हैं लॉंच
झेल न पाते ये एवलॉंच.

फुस्स पटाखा झूठे बोल
वोटर खोले इनकी पोल

वीर कौन ये समझे क्या?
देश की इसे नहीं परवाह. 
😜😆😜😆😜😆

©Shiv Narayan Saxena #rajdhani_night वीर कोन ये.....

IG @kavi_neetesh

#GoodMorning प्रेम कविता देशभक्ति कविताएँ कविताएं कविता कोश हिंदी कविता “ निशीथ का दिया “ तुम जलो , जलना तुम्हें है तुम चलो , चलना तुम्ह

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Kavi Himanshu Pandey

क्रोधाग्नि, एक वीर #beingoriginal Hindi

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MiMi Flix

"वीरगाथा: सम्राट की विजय" - एक ऐतिहासिक और साहसिक गाथा है, जहां प्राचीन भारत का महान सम्राट विक्रम अपने साम्राज्य, राजगढ़, को बचाने के लिए

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संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

हम साथ साथ है सदा क्रिशु बार बार नजर उतारे जाये हम कहीं हमारी ही नजर न लग जाए हमारे क्रिशु को, 🙂☺️🫠😊♥️🧿 हाय 🫠किन्ना सोणा लगदा साडा क्रिशु

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नीतू सिंह

Ravendra

शहीद सैनिक के घर पहुंचे एसडीएम नानपारा बहराइच । जनपद के तहसील नानपारा अन्तर्गत ग्राम गुरघुट्टा निवासी भारत-बंगलादेश सीमा पर तैनात सैनिक द

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

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गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्
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