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Stories related to उपेन्द्रवज्रा छन्द के उदाहरण

जय सिंह यादव

विष्णु# के चरणों# में लक्ष्मी# जी के# चरण#

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Parasram Arora

समृतियों के संग्रह

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White समृतियों के  संग्रह  तुम्हारी साँझ के 
विरानो को 
खुशग्वार करती रहेगी 
बस तुम उन्हें अपना पाथेय बना कर इनका उपयोग करते रहना

©Parasram Arora समृतियों के संग्रह

ARBAJ Khan

काली दुनिया के शैतान के खोफ

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White शैतान की दासतान
वे कहते है। जब आप आश की एक छोटी - सी  उमीद निराशा में बदल जाती है। तब काली दुनिया से कोई हमारे लिए आएसान करने के लिए तैयार रहता है।
फिर वों कहते है। ना हर आएसान की कोई न कोई कीमीत होती है।

©ARBAJ Khan काली दुनिया के शैतान के खोफ

MasterChefkshma

गिलकी के पकौड़े

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रॉयल वाटिका

दिल के अरमान आंसुओं में बह के

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Parasram Arora

पर्दों के पीछे

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के

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कुण्डलिया छन्द :-

राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम ।
आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।।
तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले ।
फिर यमुना के तीर , प्रेम के वह रस घोले ।।
ग्वाल-बाल का साथ , करे जिनका दुख आधा ।
वह ही है घनश्याम , चली जिनके सह राधा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :-

राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम ।
आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।।
तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले ।
फिर यमुना के

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख

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कुण्डलिया छन्द :-
गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल ।
चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।।
वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते ।
बनो सखा तुम आज , प्रेम हम तुमसे करते ।।
आओ खेलो संग ,  हमारा निर्मल नाता ।
समझा दूँगा साँझ , चलो घर मैं गौ माता  ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :-
गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल ।
चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।।
वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते ।
बनो सख

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव ,  दो इनको परि

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मरहटा छन्द :-

अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम ।
ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।।
ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव ,  दो इनको परिणाम ।
अब मुक्ति दिलाओ , राह दिखाओ , करता तुम्हें प्रणाम ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मरहटा छन्द :-

अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम ।
ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।।
ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव ,  दो इनको परि

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा  :- वसनविशाला छन्द १११     १११   १२२   २२२ पशु सम बन नही आत्याचारी । नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।। चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी । फिर बन ज

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White विधा  :- वसनविशाला छन्द
१११     १११   १२२   २२२


पशु सम बन नही आत्याचारी ।
नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।।
चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी ।
फिर बन जगत में तू सम्मानी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा  :- वसनविशाला छन्द
१११     १११   १२२   २२२


पशु सम बन नही आत्याचारी ।
नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।।
चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी ।
फिर बन ज
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