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Parasram Arora
मेरे मन की सराय खचा खच भरी हुई है ख्वाहिशों के मुसफीरो से वो सुबह भी आएगी ज़ब ये सराय भी. खाली होती नजर आएगी ©Parasram Arora सराय
सराय
read moreehsanphilosopher
एक दुनिया में बहुत सी दुनिया है। कोई काम का वली है, कोई नाम का वली है। जिंदगी क्या चीज़ है, समझ लें तो जीत है। वक्त का पहिया रूकने से परे, उम्र तेजी से यूं पिघले। इस उम्र कैसे खर्च किए, जैसे-तैसे बे ग़र्ज लिए। एक दुनिया
एक दुनिया
read morePooran Bhatt
"एक दुनिया हो, जहाँ ना गम हो.. ना रंजिशें हो.. बस एक तू हो तेरी ख्वाहिशें हों. " एक दुनिया हो..
एक दुनिया हो..
read moreParasram Arora
White इस दुनिया को मैंने एक बार गेंद की तरह मैदान मे पड़े हुए देखा था अचानक उस गेंदनुमा दुनिया को देख मेरे पाँव मे हरकत हुई और उन्हीने उस गेंद को आसमान की तरफ उछाल दिया था ©Parasram Arora दुनिया एक गेंद
दुनिया एक गेंद
read moreLovedeep Bakshi
ये दुनिया बेहद अजीब है जनाब ये अकेले में सलाम ठोकती है और महफ़िल में बदनाम करती है।। ....Lovedeep दुनिया एक महफ़िल।
दुनिया एक महफ़िल।
read moreSavyasachi 'savya '
ओ!! मेरे सुकून कि देहली किराए की सराय न बन, तू तो दुआ है मेरी अब मेरी सिसकती हाय न बन, और तेरी साजिशें, दम तोड देंगी कि खयाली खिड़कियों से रंजिश न कर, सुन !!मेरे हाथो की लकीर यूं पैरों की बवाय न बन -✍️पंडित savya #Home किराए की सराय न बन....... #panditsavya
#Home किराए की सराय न बन....... #Panditsavya
read moreAmit Saini
तखल्लुफ इस जहां में कांटो से घर सजाया हर रोज यही सोच अब मुस्कुरातते हें एक दिन मेरी तरफ भी तुझे टूटना होगा जिस पथ पर चलकर तू है आया #Flower दुनिया एक कविता
#Flower दुनिया एक कविता
read moreTarakeshwar Dubey
दुनिया एक परिवार ......................... मानव होकर दानव सा क्यूं कर रहा तू व्यवहार है? सोंच कर देखो पूरी दुनिया अपना ही परिवार है। रिश्वतखोरी, दहशतगर्दी, फरेब से क्यूं सरोकार है? तप के बल पर प्रेम से मिलकर चलता यह संसार है। कहीं तोप कहीं मिसाइल कहीं बम के क्यूं है चरचे? कहीं राम कहीं रहिम के नाम पर क्यूं बंटते है परचे? कोई आमदा तुला हुआ क्यूं सबकी निशानी मिटाने को? कोई डंट कर खड़ा हुआ क्यूं हैवानी दिखलाने को? कहीं पर मरघट लाशों का क्यूं लगा हुआ दरबार है? सोंच कर देखो पूरी दुनिया अपना ही परिवार है। क्यूं लगती कहीं पर बोली जिस्मानी अरमानों का? गला घोंटे खड़ा कोई क्यूं भलमनसाहत मानों का? भूखे पेट तड़प कर कोई आत्महत्या क्यूं करता है? सब कुछ लूट कर भी कोई डकार क्यूं नहीं भरता है? कहीं किसी के कष्टों का क्यूं रचा जा रहा पहाड़ है? सोंच कर देखो पूरी दुनिया अपना ही परिवार है। कहीं पर कोई मजदूरों की सियासत में पड़ा रहा, कहीं पर कोई दंभ भर, निज वसूलों में अड़ा रहा। अपनी रोटी सेंके सबने किसी के मन न वह भाया, अपनी किस्मत पर रोता बस राष्ट्र अकेला खड़ा रहा। मरने और मिटाने का क्यूं चल रहा कारोबार है? सोंच कर देखो पूरी दुनिया अपना ही परिवार है। ©Tarakeshwar Dubey दुनिया एक परिवार #Darknight
दुनिया एक परिवार #Darknight
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