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VED PRAKASH 73
White यादें बनाई जा सकती हैं बेशर्ते आप परिवार के साथ रहते हुए भी फ़ोन या मेल चेक करते रहने की आदत छोड़ सकें बचपन इसलिए खूबसूरत था की आप वर्तमान क्षण में रहा करते थे... वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #परिवार
usFAUJI
एक बात बोलूं दोस्तों अगर परिवार में प्रेम से आपकी बात को कोई ना समझे तों गुस्सा या बुरा बोलने से कोई फ़ायदा नहीं होंगा। बल्कि रिश्तों में दूरियां बढ़ेगी। और मान-सम्मान घटेगा। इसलिए जितना संभव हों सकें अपनों से प्रेम से बोलों और उनका मान-सम्मान रखों। क्योंकि परिवार, परिवार ही होता हैं। जों जन्म और मृत्यु तक रहता है। जय हिंद 🇮🇳🇮🇳 ©usFAUJI परिवार, परिवार ही होता हैं #परिवार #Family #Relationships #Talking #usfauji #motivate
Parasram Arora
White पहले थोड़ी कमाई से भी वृहद परिवार का भरन्न पोषणआराम हो जाता था लेकिन आज लूट खसोट वाली कमाई करने के बावजूद घर परिवार मुश्किल से चल पाता है ©Parasram Arora घर परिवार
घर परिवार
read morePushpa Sharma "कृtt¥"
वो ख़ुद से पहले परिवार को पका कर खिलाती है, ठंडी रोटी देह नहीं लगती इसलिए गरम- गरम बनाती है! ©Pushpa Sharma "कृtt¥" #माँ_की_ममता #परिवार #गरमगरमरोटी #देहनहीं #नोजोटोहिंदी #नोजोटो_हिंदी
प्रणाली कावळे
White कभी किसी का हक्क मत छिनिये नहीतो ओ उपर वाला सबकुच छिनलेता हे ©pranali kawale #Sad_Status माझे विचार notojo मित्र परिवार
#Sad_Status माझे विचार notojo मित्र परिवार
read moreDr. Bhagwan Sahay Meena
White अगर खुद के शौक से ज्यादा परिवार की खुशी की चिंता करते हो.... तो जिंदगी को समझ चुके हो तुम... ©Dr. Bhagwan Sahay Meena #good_night परिवार
#good_night परिवार
read moreAkriti Tiwari
White क्या होता है अपनों के न होने का दर्द? अपनों के न होने का दर्द बयां करती हूं, जिंदगी में एक अच्छा दोस्त ना होने के कारण दर्द बयां करती हूं l अपनी जिंदगी पूरे मौज में जी रही थी l कोई रोकने टोकने वाला नहीं था l इसलिए दर्द और भटकती जा रही थी l सुबह-सुबह उठकर जल्दी से जा रही थी, अचानक आवाज आई, पीछे अपना जैकेट तो ,ले लो मुझे लगा मेरी मां बोल रही हैl किचन से जिसके हाथों में सन आता होगा l क्या पता था? पीछे देखेगी तो वहां सिर्फ सन्नाटा होगाl जैन की आदत मेरी देर से रोज देर से जगती हूंl सुबह में जागते थे, पापा मेरे उन्हीं के यादों में सोती हूं। एक दिन आवाज आई अरे जाग जा कितनी देर सोएगी तुम्हें वक्त का पता नहीं लगा यह आवाज पापा जी का ही होगा मुझे क्या पता था? आंखें खोलकर देखूंगी तो खुला सिर्फ दरवाजा होगा। प्रतिदिन सुबह-सुबह पूजा करके,घंटी बजती थी। दादी मेरी, एक दिन सुन घंटी की आवाज को खुशी से झूम उठी बाहरआकर देखी मंदिर सूना पड़ा था। जो घंटी की आवाज सुनी थी, वह तो स्कूल वाला था । किस भूलूं किस याद करूं, यही सोच लिए तड़प रही हूं। कभी मन तो कभी, पापा व परिजनों को याद किए जा रहे हूं। किसी से नहीं कर सकती अपना दर्द बयां, इसलिए सभी दर्द छुपा कर चली जा रही हूं। चली जा रही हूं, चली जा रही हूं। ©Akriti Tiwari परिवार पर कविता । कविता कोश
परिवार पर कविता । कविता कोश
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