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Dharamveer Kumar

मां की ममता सब कुछ है दुनिया में

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हिमांशु Kulshreshtha

अक्सर...

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White अफ़सोस इतना गहरा नहीं 
कि सब कुछ मिटा देने को मन करे 
ना ही दुख इतना गहरा 
कि ख़ुद को ख़त्म कर लूँ 
बस निष्प्रभ हूँ, 
डगमगाता , लड़खड़ाता सा 
कितने फ़ैसले जो मैंने लेना चाहे 
उन्हें लेने और ना लेने का 
खामियाजा भुगतता हुआ 
कभी सोचता हूँ अपने अकेलेपन में 
अगर ऐसा होता तो क्या होता 
अगर ये कर लिया होता तो क्या होता
क्या ये होता.. या फिर..... 
इन्हीं सवालों में अक्सर उलझ जाता हूँ

©हिमांशु Kulshreshtha अक्सर...

Sarvesh kumar kashyap

💗इस दुनिया में तुम्हारा कौन..🤷 #nojohindi #viral #Trending #shayri #status

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manshisingh@gmail.com

zindgi में याद बनकर अक्सर कोई रहे ही जाता है

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मुझे नही पता था किसी की यादे इतनी रुलाती हैं
एक याद बनकर ज़िंदगी को उलझाती जाती हैं 
ज़िंदगी से जाने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ती
क्यों याद बन कर ज़िंदगी को सताती हैं 
क्यु ज़िंदगी इस मोड़ पर आती हैं
🩷🩷🩷

©manshisingh@gmail.com zindgi में याद बनकर अक्सर कोई रहे ही जाता है

GoluBabu

राजी रहा ऊपर वाले की रजा में। तुमसे भी बहुत गरीब लोग रहते हैं इस दुनिया में।। #poor #Labourday

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हिमांशु Kulshreshtha

अक्सर...

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White अक्सर….
इन भीगी शामों में
पुराने ख्याल उमड़ आते हैं
बादलों की गरज से,
आसमानी बिजली की चमक से
हौले हौले गहरे स्याह होते हुए
विगत को देखता हूँ
तो अब न कोई अफसोस…
न कुछ खोने का दुख,
न कुछ हासिल न कर पाने का
कुछ देर के लिए
क्षितिज के एक छोर पर
बादलों से बनती
धुंधली सी आकृति
को देखता हूँ मैं…
जानता हूँ क्षणिक है…
पर कुछ देर ही सही
निहारना चाहता हूँ उसे
यूँ ही अपलक, तब तक
खो न जाए वो दूसरे छोर पर

©हिमांशु Kulshreshtha अक्सर...

Dharamveer Kumar

मां का दिल जैसा दुनिया में कोई दिल नहीं

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01Chauhan1

इस कलयुग में

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Vandana Rana

इस दुनिया का सबसे आसान काम है दूसरों की गलतियाॅं निकालना।

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Shashi Bhushan Mishra

#इस बारिश में ढह गया#

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छपते-छपते  रह  गया, 
बचते-बचते  बह  गया,

चश्मदीद था एक अदद, 
जाते-जाते  कह  गया,

मौत के साये में चुप था, 
दर्द ज़माने का सह गया,

मिट्टी का जर्जर घर था, 
इस बारिश में ढह गया,

छोड़ गया घर-आंगन सूना,
मुद्दों से  कर सुलह गया,

पता ठिकाना  बता कोई, 
जाने कौन सी जगह गया,

मिटा गया रंजिशें  तमाम, 
'गुंजन' लेकर कलह गया,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra #इस बारिश में ढह गया#
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