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Raone
बहुत लिखा है इश्क़ मुहब्बत प्यार वफ़ा पर पर क्या इसका अर्थ भी आप समझ पाओगे वो डायरी मेरी खोल के देखो, जिसमें मेरी तुम तलाश लिखी हो ज़रा दिल से पढ़ना उन अल्फ़ाज़ों को जिसमें पूरी की पूरी बस आप छपी हो पर अफ़सोस की शायद तब भी तुम समझ न पाओ कि किनती उसमें पीर लिखी है सच है तुमने जा चाहा था वक्त के साथ मैं मर जाऊँ आपके श्राप से तिनका तिनका सा मैं उड़ जाऊँ ख़ून से अपने, हमने ये तो गीत लिखा है दिल से देख तू ऐ ज़िन्दग़ी, पूरे पन्नों में बस तू हीं छिपा है राone@उल्फ़त-ए- ज़िन्दग़ी (भाग-2) (भाग-2)
(भाग-2)
read morePRATIK MATKAR
ऊन कोवळे कडक जाहले असे सोहळे कधी न पाहिले कुणी म्हणाले टळेल वेळ ही कुणी म्हणाले बसेल मेळ ही कुणा वाटतो घटकेचा खेळ ही कुणा वाटते कायमची जेल ही अशी निराशा वाट्याला येते इमले सारे पाडुनी जाते भाग 2
भाग 2
read morePavan bhoyar
भाग 2 आज-तक जो तूने किया उसमे तू सफल नहीं। विफलता में धीरे-धीरे उम्र तेरी ढल रही। गिरा है तू मरा नहीं तेरी साँसे अब भी चल रही। तेरी ऐसी हरकतों को देख चींटी अपनी आँखें मल रही। जिंदगी होती ऊपर नीचे इसमें कुछ भी समतल नहीं। तुझे लगता तेरी सारी कोशिशें विफल रही। तुने की मेहनत लेकिन मिला उसका फल नहीं। इन बातो में मालूम पड़ता कोई बल नहीं। समय के साथ देख पहाड़ो की बर्फ भी पिघल रही। ©Pavan bhoyar शहजादा भाग 2
शहजादा भाग 2
read moreNaushad Sadar Khan
ये दुनिया है, यहाँ पर जो भी है सब कुछ पराया है, ना लेकर जाएगा कोई ना कोई साथ लाया है, तुमको लगता है कि मुट्ठी में समेटे बैठे हो कायनात को साँस रुकी जिस लम्हा कफ़न ही हिस्से आया है ना लेकर जाएगा कोई ना कोई साथ लाया है , ये दुनिया है, यहाँ पर जो भी है सब कुछ पराया है, दुनिया भाग 2
दुनिया भाग 2
read moreनिम्मी की कलम से
भाग 2 वो सामने खड़ी कभी मुस्कुरा रही थी,तो कभी रो रही थी। मैं अंदर ही अंदर सिहर रहा था,कुछ बोलना और पूछना चाह रहा था पर एक शब्द जुबां से निकल न पाया।भयभीत होकर भी एकटक उसको ही देखे जा रहा था अपनी आंखों में तमाम सवाल लिए। "तुसी आ गए हरीश! मैं तेरा ही इंतजार कर रही थी।मुझसे डरने की जरूरत नहीं है।आज के बाद मैं इन सड़कों पर नजर नहीं आऊंगी।मुझे तुमसे कुछ कहना है हरीश।हमारी बच्ची मेरे साथ मरी नहीं थी, उसको कोई उठाकर ले गया था मेरे मरने के बाद।तुम उसको ढूंढकर अपने पास ले आना,तभी मेरी आत्मा को शांति मिलेगी।" और इतना कहते वो गायब हो गई। मैं कुछ सोचने समझने की स्थिति में नहीं था,बस बहुत तेजी से गाड़ी आगे भगाई और उस सूनसान सड़क को पार कर शीघ्र अपने घर पहुंचा मां को लेकर। मां बहुत ज्यादा डरी हुई थी।अपने नवजात पोते को देखने के बजाए सीधे अपने कमरे में चली गईं। बड़ी दीदी ससुराल से यहां आई हुई थीं,मैने उनको मां के पास भेज दिया और खुद भाभी के कमरे में जा पहुंचा नए मेहमान को देखने। "छोटे भैय्या क्या हुआ अम्मा जी को?इतना क्यों घबराई हुई हैं वो?उनकी तबीयत तो ठीक है ना?इतना खुश थीं लल्ला के जन्म का सुनकर,फिर क्या हुआ?" भाभी ने सवालों की ढेर लगा दी। "कल सब बताऊंगा भाभी।अभी आप अपना और लल्ला का ध्यान रखें।" क्रमशः........ ©निम्मी #वहांकौनहै भाग 2
#वहांकौनहै भाग 2
read moreप्रेM लखनवी
मैं और तुम (भाग -2) मैं एक राही हूं, तो तुम एक अंजाम हो। मैं एक सवाल हूं, तो तुम ही जवाब हो। मैं एक मकान हूं, तो तुम एक शहर हो। मैं एक नदिया हूं, तो तुम ही लहर हो। मैं एक लौ हूं, तो तुम एक दिया हो। मैं एक धूप हूं, तो तुम ही छाया हो। मैं एक हवा हूं, तो तुम एक एक सांस हो। मैं एक निराश हूं, तो तुम ही आस हो। मैं एक चाह हूं, तो तुम एक चाहत हो। मैं एक दर्द हूं, तो तुम ही राहत हो। मैं एक आम हूं, तो तुम एक खास हो। मैं एक प्यासा हूं, तो तुम ही प्यास हो। #मैं_और_तुम (भाग-2)
#मैं_और_तुम (भाग-2)
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