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Ladla. S. Sharma
White टूटा तो है कोई 💔 बताओ या ना बताओ आपको मर्जी ©Ladla. S. Sharma #GoodMorning जी
#GoodMorning जी
read moreशुभम मिश्र बेलौरा
White नेता जी संसद भवन में अब,ये मारा मारी बंद करो झूठे वादों से वोटों की कालाबाजारी बंद करो। TV में जब से दिखने लगे,ज्यादा उत्तेजित रहते हो, मर जायेंगे जनता खातिर हर बात में कहते रहते हो। बोतल तोड़ो कुर्सी छोड़ो, हल्ला गुल्ला करते हो, खत्म हुआ जैसे ही सदन,कैन्टीन में सुल्ला करते हो। जाति धर्म के नाम पे नफरत की बमबारी बंद करो, नेता जी..... पढ़ने लिखने वालों पर लाठी डंडे चलवाते हो, जान जा रही बेटी की तुम कैन्डेल मार्च कराते हो। जनता के मुद्दों पर बोलो उस पर बहस जरूर करो, नियम बनाना बंद करो अब नीति बनाना शुरू करो। बहस के नाम पे जहर उगलने की ये पारी बंद करो, नेता जी ....... क्या खाकर पैदा करते वो नेता बनने लायक हैं, अपने बेटे को मिले टिकट बाकी जनता नालायक है। एक जाति के बने मसीहा बाकी के खलनायक हैं, बदमासी चोरी करता जो बनता वही विधायक है। देखके मौसम पार्टी बदलना बारी बारी बंद करो, नेता जी...... ©शुभम मिश्र बेलौरा #Sad_Status नेता जी
#Sad_Status नेता जी
read moreVeer Tiwari
नोट: रामधारी सिंह दिनकर की कविता "कुरुक्षेत्र" आज मैंने रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता "कुरुक्षेत्र" पढ़ी, और इसने मेरे मन में अनगिनत विचारों का जन्म दिया। यह कविता न केवल युद्ध की विभीषिका को उजागर करती है, बल्कि मानवता, नैतिकता, और धर्म के गहरे सवालों को भी सामने लाती है। जब मैं इस कविता को पढ़ रहा था, तो मुझे लगा कि यह केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि आज के समय में भी इसका महत्व है। आज जब हम अपने समाज में विभिन्न प्रकार के संघर्ष और असमानताओं का सामना कर रहे हैं, दिनकर जी की यह कृति हमें एक नई दृष्टि प्रदान करती है। कविता में कौरवों और पांडवों के बीच का संघर्ष, केवल भौतिक युद्ध नहीं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक लड़ाई भी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमें ऐसी लड़ाइयों की आवश्यकता है? क्या हम अपने धर्म और नैतिकता के सिद्धांतों के खिलाफ जाकर किसी भी प्रकार की हिंसा को सही ठहरा सकते हैं? कविता में दिनकर जी ने जिस तरह से लाशों की महक और घायल सैनिकों की पुकार का चित्रण किया है, वह अत्यंत संवेदनशील है। यह हमें याद दिलाता है कि युद्ध केवल एक शारीरिक संघर्ष नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़ी होती हैं अनगिनत मानसिक और सामाजिक पीड़ाएँ। आज के समय में, जब हमारे समाज में हिंसा, धार्मिक असहमति, और राजनीतिक संघर्षों की बातें बढ़ रही हैं, तब यह कविता और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है। कविता ने मुझे यह सिखाया कि हमें संवाद और समझदारी के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। आज के संदर्भ में, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि शांति केवल युद्ध के बिना नहीं है, बल्कि यह आपसी सहयोग और समझदारी से ही संभव है। हमें दिनकर जी के इस महत्वपूर्ण संदेश को अपने जीवन में उतारना चाहिए। इसलिए, मैंने निश्चय किया है कि मैं अपने आसपास के लोगों के साथ संवाद स्थापित करूंगा। मैं समझता हूँ कि बातें करने से misunderstandings कम होती हैं और सामंजस्य बढ़ता है। हमें हर किसी के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और असमानताओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। इस कविता को पढ़ने के बाद, मैंने यह महसूस किया कि रामधारी सिंह दिनकर केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक विचारक भी थे। "कुरुक्षेत्र" में दिए गए विचार और संदेश आज भी हमारे समाज के लिए प्रासंगिक हैं। मुझे लगता है कि हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार कर सकते हैं, बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं। आज का यह अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा, और मैं इसे अपनी जीवन यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखता हूँ। ©Veer Tiwari रामधारी सिंह दिनकर "कुरुक्षेत्र"
रामधारी सिंह दिनकर "कुरुक्षेत्र"
read moreUbaida khatoon Siddiqui
@ubaidakhatoon✍️ ©Ubaida khatoon Siddiqui "रामधारी सिंह दिनकर जी " को tribute देने के लिए, एक open mic event के लिए आज ही लिखा है । #Ubaidakhatoon #ubaidawrites #Thoughts नये अच्
"रामधारी सिंह दिनकर जी " को tribute देने के लिए, एक open mic event के लिए आज ही लिखा है । #Ubaidakhatoon #ubaidawrites Thoughts नये अच्
read moreशुभम मिश्र बेलौरा
White किया सदा ही शिक्षा का आह्वान पन्डितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने । किया नुकसान पन्डितों, किया नुकसान पन्डितों ने। देश की आजादी में भी ये कदम से कदम मिलाए, पड़ी जरूरत जब भी सबसे पहले नजर ये आए। गोरे अंग्रेजों को पहले गोली जिसने मारी, इसमें भी हैं मंगल पांडे चंद्रशेखर तीवारी। फिर भी नहीं कहता कि किया अहसान पन्डितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने। हाथ में जब भी देश मिला तब की देखो खुद्दारी, पंडित नेहरू लालबहादुर या हों अटल बिहारी, घोटाले चोरी में इनका नाम कभी न आया, परमाणु सम्पन्न तिरंगा दुनिया में लहराया। अपने दम पर दुनिया में कमाया,नामोनिशान पंडितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने.......2 ©Shubham Mishra #GoodNight पंडित जी
#GoodNight पंडित जी
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