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Poet Maddy
हम बैठे थे महफ़िल में पढने ग़ज़ल, सामने से उसने हमें इशारा कर दिया........ अदाओं से अपनी घायल करके हमें, उसने नुकसान सारा हमारा कर दिया........ ©Poet Maddy हम बैठे थे महफ़िल में पढने ग़ज़ल, सामने से उसने हमें इशारा कर दिया........ #Sot#Gathering#Gazal#Signal#Front#wound#Expression#Harm
हम बैठे थे महफ़िल में पढने ग़ज़ल, सामने से उसने हमें इशारा कर दिया........ #sot#GATHERING#gazal#Signal#front#wound#expression#Harm
read moreJoel/Rooh
जो थे सो थे.... जो थे सो थे.....लेकिन अब जो है..... वही बन कर रहेगे...💋👊 #brokenheart #lover Shayari
read moreJitender Kumar
#sad_shayari हम उन्हें वो हमें भुला बैठे दो गुनहगार ज़हर खा बैठे हाल-ए-ग़म कह के ग़म बढ़ा बैठे तीर मारे थे तीर खा बैठे
read moreKuldeep KumarAUE
White समय यूं ही बीतता चला गया और हम बैठे-बैठे सोचते रहे कल के बारे में ©Kuldeep KumarAUE #good_night समय यूं ही बीतता चला गया और हम बैठे-बैठे सोचते रहे कल के बारे में #kuldeepkumaraue
#good_night समय यूं ही बीतता चला गया और हम बैठे-बैठे सोचते रहे कल के बारे में #kuldeepkumaraue
read morePankaj Pahwa
White याद कर कर के मेरी हर एक बात वो भुला रहे थे, जाने वो कैसे मुझे यूं मिटा रहे थे, जलाने से पहले मेरा हर खत वो पढ़े जा रहे थे, जाने वो कैसे मुझे यूं मिटा रहे थे, तोड़ने से पहले मेरे तोहफों को वो सजा रहे थे, जाने वो कैसे मुझे यूं मिटा रहे थे, भूलने से पहले मेरा नाम वो रटे जा रहे थे, जाने वो कैसे मुझे यूं भुला रहे थे, मेरी हर चीज में तो वो अपनापन जता रहे थे, जाने वो कैसे मुझे यूं भुला रहे थे, ©Pankaj Pahwa #भुला रहे थे
#भुला रहे थे
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White विधा कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा । आज नहीं है हाथ , हमारे अब वह रेखा ।। बन बैठे थे गैर , संग ले दूजे फेरे । आये हैं सब याद , दिलाने दिल को तेरे ।। करता किसका मैं यहाँ , सुनो प्रेम स्वीकार। सब ही तो दिखला रहे , झूठा हमसे प्यार ।। झूठा हमसे प्यार , करे यह सारे अपने । और कहें नित आप , हमारे आये सपने ।। दे दो कुछ उपहार , जान मैं तुमपे मरता । क्या बतलाऊँ आज , प्यार मैं कितना करता ।। यारा कटती है नहीं , तुम बिन मेरी रात । अब करो मुलाकात तो , बन जाए फिर बात ।। बन जाए फिर बात , रात रानी सी महके । दिल के वह जज्बात , चाँदनी पाकर लहके ।। यह मृगनयनी रूप , बने हर रात सहारा । एक झलक जो आज , दिखा दे मुझको यारा ।। ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।
विधा कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।
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