Find the Latest Status about रागनी परिंदे from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, रागनी परिंदे.
Arjun Rawat पार्थ
USM Initiative
White परिंदे है हमारे दिल भी साहेब परिंदों का मकां कोई नही है ©Gazal #sad_quotes #parindey #परिंदे शायरी हिंदी में शेरो शायरी शायरी दर्द शायरी लव
#sad_quotes #parindey #परिंदे शायरी हिंदी में शेरो शायरी शायरी दर्द शायरी लव
read moreSk
White उड़ने में वक्त तो लगता है प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है नए परिंदे को उड़ने में वक्त तो लगता है जिस्म की बात नहीं सबके दिलों तक जाना है लंबी दूरी तय करने में वक्त तो लगता है ©Sk उड़ने में वक्त तो लगता है प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है नए परिंदे को उड़ने में वक्त तो लगता है जिस्म की बात नहीं सबके दिलों तक
उड़ने में वक्त तो लगता है प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है नए परिंदे को उड़ने में वक्त तो लगता है जिस्म की बात नहीं सबके दिलों तक
read moreRimpi chaube
White जमीं से जुड़े रहो मानव,क्या रखा दुनियादारी में। मानव हो मानवता में रहो,क्या रखा समझदारी में। फैलायों अपने पर तुम आसमान के परिंदे की तरह। सोच को अपनी विस्तृत करो,क्या रखा मक्कारी में।। ©Rimpi chaube #आसमानकेपरिंदे जमीं से जुड़े रहो मानव,क्या रखा दुनियादारी में। मानव हो मानवता में रहो,क्या रखा समझदारी में। फैलायों अपने पर तुम आसमान के परि
#आसमानकेपरिंदे जमीं से जुड़े रहो मानव,क्या रखा दुनियादारी में। मानव हो मानवता में रहो,क्या रखा समझदारी में। फैलायों अपने पर तुम आसमान के परि
read moreVic@tory
White उजड़ी हुई दुनियां को तू आबाद ना कर, बीते हुए लम्हों को तू याद ना कर, एक कैद परिंदे ने कहा हमसे, मैं भूल चुका हु उड़ान तू मुझे आजाद ना कर.. ©Vic@tory #कैद परिंदे
#कैद परिंदे
read moreFuck off nojoto
सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू , पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , जीने के लिए खुला आसमान चाहते हैं .... ©Arshu.... सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू , पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , जीने के लिए खुला आसमान
सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू , पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , जीने के लिए खुला आसमान
read moreAnand Kumar Ashodhiya
निर्भया - नई हरयाणवी रागणी वासना के भूखे दरिन्दे, याहडै कदम कदम पै पावैं सैं करकै इज्जत तार तार फेर, मौत के घाट पहुँचावैं सैं मन्नै पता ना मेरी हस्ती नै, कौण मिटा कै चल्या गया मैं तीन साल की बच्ची थी मनै, मौत की नींद सुल्या गया मैं दर्द के मारे रोवण लागी, वो गला घोंट कै चल्या गया बेदम हाेकै मेरी आँख पाटगी, वो मनै फेंक कै चल्या गया इब रक्त रंजित मेरी लाश पड़ी सब, नैना नीर बहावैं सैं दस बारा आज बरस बीतगे, मनै स्कूल में जाती नै लुंगाडा की फौज खड़ी रहै, मनै छेड़ें आती जाती नै कोए नज़रां तै पाछा करता, कोए घूरै था मेरी छाती नै घर वालों को बता सकी ना मैं तो खुद पै ही शरमाती नै लूट कै इज्जत घाल कै फाँसी इब पेड्डां पै लटकावैं सैं बस का सफर हो या रेल यात्रा, सब मेरै ए सटणा चाहवैं थे सिरफिरे बदमाश अवारा, ना कुराह तै हटणा चाहवैं थे हर हालत में मनै घेर कै, मेरै तन कै चिपटणा चाहवैं थे पागल कुत्ते के माफ़िक, मेरा माँस नोंचणा चाहवैं थे आज मैं भी निर्भया बणा देइ मेरी लाश पै कैंडल जळावैं सैं हे पणमेशर तूँ हे बता तनै, यो कुणसा खेल रचाया सै औरत होणा ही दुश्वर है तो क्यूं औरत रूप बणाया सै सारी गलती नारी देह की, जो मानव मन भटकाया सै तेरी माया नै समझ सके ना, ना यो भेद किसै नै पाया सै गुरु पाले राम सुरग में जा लिए पर आनंद का ज्ञान बढावैं सैं कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25 ©Anand Kumar Ashodhiya #Thinking #निर्भया #nirbhaya निर्भया नई हरयाणवी रागनी हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविताएं कविता कोश
Bazirao Ashish
आसान नहीं है दरखत होना परिंदे छोड़ जाते हैं घोंसले अपने उड़ा ले जाते हैं बच्चों को अपने साथ रह जाता है दरखत अकेला आसान नहीं है दरखत होना। -आशीष द्विवेदी ©Bazirao Ashish #Sad_Status आसान नहीं है दरखत होना परिंदे छोड़ जाते हैं घोंसले अपने उड़ा ले जाते हैं बच्चों को अपने रह जाता है दरखत अकेला आसान नहीं है दरखत
#Sad_Status आसान नहीं है दरखत होना परिंदे छोड़ जाते हैं घोंसले अपने उड़ा ले जाते हैं बच्चों को अपने रह जाता है दरखत अकेला आसान नहीं है दरखत
read moreAnand Kumar Ashodhiya
पर्यावरण - नई हरयाणवी रागनी तूं कितना ए जतन लगाले बन्दे वो पल में प्रलय करता है तूं भाज भाज कै थक लेगा, वो एक पग में योजन भरता है तनै पेड़ अर पौधे काट काट कै, जंगल नदी उजाड़ दिए पर्वत घाटी काट काट कै, खनिज और पत्थर काढ़ लिए उनै बाढ़ के पंजे गाड़ दिए, इब क्यूं ज्यान बचाए फिरता है तनै सारी ए धरती बंजर करदी, मार कै खाद दवाई खान पान सब जहरी कर दिया, जहरी ए हवा बणाई तनै अपनी शामत आप बुलाई, वो तौल तौल कै धरता है धरती थोथी करकै नै तनै, सारा पाणी खींच लिया पीवण नै भी छोड़या ना तनै, आंगण बाड़ी सींच लिया उनै दया का पंजा भींच लिया इब, बूंद बूंद नै मरता है कई कई मंजिल भवन बणा लिए, कितै बारा कितै ठारा पहाड़ दरकगे नदी उफणगी, तेरा कुछ ना चाल्या चारा कदे सुनामी कदे हल्लण आरहया, फिर कुदरत से क्यूं डरता है गुरु पालेराम नै पकड़ आंगली कथना रचना सिखा दिया के आच्छा के बुरा जगत में शीशे की ज्यूं दिखा दिया उनै कड़वा मीठा चखा दिया वो जीवन के दुख हरता है कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25 ©Anand Kumar Ashodhiya #पर्यावरण नई हरयाणवी रागनी पर्यावरण कविता कोश कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता
#पर्यावरण नई हरयाणवी रागनी पर्यावरण कविता कोश कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता
read more