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Pushpa Sharma "कृtt¥"
White चाँद से कुछ ऐसा दिखता है नज़ारा, नीली से धरती और अंबर है प्यारा। ©Pushpa Sharma "कृtt¥" #International_Day_Of_Peace #अम्बरसे #धरती #नज़ारा #नोजोटोहिंदी #नोजोटोराइटर
Jansurajharnaut
नाच गानों के लिए समय है लेकिन अपने बच्चों के पढ़ाई के लिए नहीं । #jansuraaj #prashantkishor #bihar #viral #digitalyoddha शुभ विचार
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Birth and death are inevitable जन्म और मृत्यु अनिवार्य हैं काल के प्रभाव से जो जीवन हमें मिलता हैं उसकी समाप्ति भी होती हैं यही पृथ्वी / #Motivational
read moreShiv Narayan Saxena
White पंच तत्व से बना हुआ अद्भुत यह संसार निर्झरिणी पर्वत तरु उदधि धरा का प्यार फुर्सत में बैठो थोड़ा वक़्त बिता लो यार चलो निहारें प्यारे सुंदर धरती के उपहार ©Shiv Narayan Saxena #love_shayari प्यारे सुंदर धरती के उपहार
#love_shayari प्यारे सुंदर धरती के उपहार #Poetry
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गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकसद छुपा होता हैं इस सृष्टि पृथ्वी धरती 🌎 पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का कोई ना कोई उद्देश्य और मकसद होता हैं ©person 🙏गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकस
🙏गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकस #Poetry
read moreRimpi chaube
White अपनों के संताप को। लोगों के मन के पाप को। धरती के आलाप को। श्रृष्ठि के अभिशाप को। सब को समझना बस में नहीं... पहले समझो अपने आप को।। ©Rimpi chaube #समझो_अपने_आपको ☺️ अपनों के संताप को। लोगों के मन के पाप को। धरती के आलाप को। श्रृष्ठि के अभिशाप को। सब को समझना बस में नहीं... पहले समझो अप
#समझो_अपने_आपको ☺️ अपनों के संताप को। लोगों के मन के पाप को। धरती के आलाप को। श्रृष्ठि के अभिशाप को। सब को समझना बस में नहीं... पहले समझो अप #Motivational
read moreDR. LAVKESH GANDHI
खुशियों के पल जिंदगी में कभी-कभी खुशियों के पल आते ही रहते हैं ज़ब नाज करे दुनियाँ वह पल आ ही जाते हैं | ©DR. LAVKESH GANDHI #खुशियों के पल # #जिंदगी के हसीन पल #
खुशियों के पल # जिंदगी के हसीन पल #
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन् #कविता
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