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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक न जानामि योगम् श्री शिव रुद्राष्टकम् हिंदी अर्थ सहित . . विधा श्री शिव रुद्राष्टकम् हिंदी अर्थ सहित श्लोक ८ #Trending #भक्ति #हरहरमहादेव #femalerealvoice #कवितावाचक #tarukikalam #devotionally_spiritually_taru #श्रीशिवरुद्राष्टकम् #नजानामियोगम्
read moreAnuradha T Gautam 6280
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White दोहा :- बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान । मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।। हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण । आज उसे संसार में , मानो तुम उत्तीर्ण ।। बनकर शिक्षक शिष्य को , दिखलाते जो राह । ऐसे गुरुवर की शरण , मिले शिष्य की चाह ।। हिंदी भाषा का सदा , करते हैं गुणगान । इससे ही अब हो रही, अपनी भी पहचान ।। मिला हमें गुरुदेव का , जबसे आशीर्वाद । छन्द ग़ज़ल दोनों रचे , सब देते हैं दाद ।। हिंदी में ही राम का , वृक्ष करे गुणगान । निकट अयोध्या देख लो , जाकर तुम अब स्थान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान । मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।। हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण । आज उसे
दोहा :- बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान । मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।। हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण । आज उसे #कविता
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White मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दास - आज शरण में हो जब वंदन , दो बिसरा अपराध ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दा
मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दा #कविता
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White विधा :- वसनविशाला छन्द १११ १११ १२२ २२२ पशु सम बन नही आत्याचारी । नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।। चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी । फिर बन जगत में तू सम्मानी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा :- वसनविशाला छन्द १११ १११ १२२ २२२ पशु सम बन नही आत्याचारी । नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।। चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी । फिर बन ज
विधा :- वसनविशाला छन्द १११ १११ १२२ २२२ पशु सम बन नही आत्याचारी । नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।। चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी । फिर बन ज #कविता
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} मैं उन परब्रह्म परमात्मा भगवान श्री कृष्ण जी की शरण में हूँ। जो विश्वरहित होने पर भी विश्व के रचयिता और विश्वरूप हैं, ऐसा विचार सबको करना चाहिए।। ©N S Yadav GoldMine #sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} मैं उन परब्रह्म परमात्मा भगवान श्री कृष्ण जी की शरण में हूँ। जो विश्वरहित होने पर भी विश्व के रचयिता
#sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} मैं उन परब्रह्म परमात्मा भगवान श्री कृष्ण जी की शरण में हूँ। जो विश्वरहित होने पर भी विश्व के रचयिता #मोटिवेशनल
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- जबसे बन्द प्रणाम है, सब कुछ हुआ विराम । रिश्ते आज प्रमाण हैं , सम्मुख है परिणाम ।। भजता आठों याम हूँ , जिनका हर पल नाम । वे ही सुधि लेते नहीं , कण-कण में है धाम ।। हर पल तेरी ही शरण , रहता हूँ घनश्याम । कर दे अब कल्याण तो , मन में लगे विराम ।। सुन लो इस संसार में , दो ही प्यारे नाम । पहला सीता राम है , दूजा राधेश्याम ।। जीवन रक्षक आप हैं , जीवन दाता आप । फिर बतलाएँ आप प्रभु , होता क्यूँ संताप ।। वह मेरा भगवान है , यह तन है परिधान । बस इतना ही जानता , यह बालक नादान ।। डाल बाँह बीवी गले , भूल गये वह फर्ज । अब तो माँ के दूध का , याद नही है कर्ज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- जबसे बन्द प्रणाम है, सब कुछ हुआ विराम । रिश्ते आज प्रमाण हैं , सम्मुख है परिणाम ।। भजता आठों याम हूँ , जिनका हर पल नाम । वे ही सुधि
दोहा :- जबसे बन्द प्रणाम है, सब कुछ हुआ विराम । रिश्ते आज प्रमाण हैं , सम्मुख है परिणाम ।। भजता आठों याम हूँ , जिनका हर पल नाम । वे ही सुधि #कविता
read moreKiran Chaudhary
White भोले आपकी शरण में आकर, सबकुछ अच्छा लगता है, हर सपना मुझको अब हकीकत सा लगता है, आप जैसा न था, न होगा कोई इस जहां में, ये सावन का महीना कितना सच्चा लगता है, मेरे तो तन मे मन में अब आप हो बसे।। भोले आपकी शरण में आकर सबकुछ अच्छा लगता है।। Happy Sawan ©Kiran Chaudhary भोले आपकी शरण में आकर, सबकुछ अच्छा लगता है।। #sawan_2024
भोले आपकी शरण में आकर, सबकुछ अच्छा लगता है।। #sawan_2024 #कविता
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White ,, हम गुरु चरणों में शीश झुकाएँ ,, गुरु शरण नित शीश झुका कर, अंतस सुख पा जाइए । मिलता अनुपम ज्ञान जहाँ से, जीवन को सुखी यही बनाइए । भक्ति का सार सिखाते गुरु वर, प्रभु मिलन की राह बनाइए। नर देह धरी प्रभु ने जो धरा पर, गुरु शरण में शीश झुकाया था । गुरु की महिमा का ज्ञान हमें, गुरु शिक्षा से सिखलाया था। भव सागर से तर जाने को, जप नाम का मार्ग दिखाया था । गुरु बिन ज्ञान अधूरा होता, यह गुर( तरीका)हमको सिखलाया था। मात - पिता,गुरु,बंधु,सखा, 'गुरु ' सम ज्ञान की सीढ़ी हैं । गुरु मान इन्हें नित शीश झुका, अंतस में इन्हें बिठाइए। गुरु शरण नित शीश झुकाइए । ©बेजुबान शायर shivkumar #guru_purnima #Nojoto ,, हम #गुरु चरणों में शीश झुकाएँ ,,