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Rishi Ranjan
Unsplash " अलविदा कहना पड़ रहा.... " मेरे सभी BPSC PGT शिक्षक प्रशिक्षु आने वाला पल अब एक दास्ताँ में बदल रहा... एक पल में अर्सा गुजरने का दौर भी अब थम रहा.... आ गया वो मोड़ जिसमें अलविदा कहना पड़ रहा... क्लास और लंच वालीं कहानी होंगी खत्म... अब अलग होंगे विद्यालय एवं लेकिन मकसद होंगे केवल एक वो है अपने बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा... छह दिनों के प्रशिक्षण सब कितने जल्दी हो गए.... एक पल में अर्सा गुजरने का दौर भी अब थम रहा.... आ गया वो मोड़ जिसमें अलविदा कहना पड़ रहा है.... Bpsc शिक्षक बने हुए आए थे प्रशिक्षण ले कर जा रहे... सेमिनार हॉल के सांस्कृतिक कार्यक्रम सब कितने जल्दी हो गए... हाथ में certificate मिला और हम सभी बुनियादी रूप से भी शिक्षक हो गए.... एक पल में अर्सा गुजरने का दौर भी अब रहा.... आ गया वो मोड़ जिसमें अलविदा कहना पड़ रहा है.... मेरे दोस्तों ध्यान से देख लो कहीं कुछ छुटा ना हो... कहीं आपकी वज़ह से किसी का दिल रूठा न हो... भूलकर सब रंजिशें सब एक दूसरे से मिल लो.... क्युकी जा रहा ये वक़्त अब दुबारा आने से रहा.... दिल थाम कर आंखे पोंछ कर अलविदा कहना पड़ रहा... मेरे BPSC PGT शिक्षक ये साथ का पल अब एक दास्ताँ में बदल रहा... आ गया वो मोड़ जिसमें अलविदा कहना पड़ रहा है..... अलविदा कहना पड़ रहा.... धन्यवाद और आभार आप सबों को.... ©Rishi Ranjan #Book #poems #Life hindi poetry on life love poetry in hindi poetry in hindi poetry quotes
Nitish Tiwary
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read moreDr. Bhagwan Sahay Meena
काश! हर सुबह नवरात्र की नवमी सी होती.... हर किसी की नज़र में बेटियां देवी सी होती... ©Dr. Bhagwan Sahay Meena #navratri beti
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read moreBindi
न राम है न रावण है ये कलयुग की रामायण है युगों युगों से सुन रहे थे जो गाथा वो बनके रह गई मनोरंजन का साधन है यँहा हर मोड़ पर खड़ा इक दानव है न कोई रावण जैसा सच्चा ब्राह्मण है न शबरी के वो झूठे बेर है न बचा इब दिलों मे प्रेम है न कोई वचन निभाने वाला है पिता के कहने पर न कोई वनवास जाने वाला है न लक्ष्मण जैसा भाई है मन मे बस नफरत की खाई है न मर्यादा पुरुषोत्तम राम है जो समझे माता पिता के चरणों मे ही चारो धाम है न सीता सी कोई सती है वैचारिक मतभेदों पर वो अब अड़ी है न हनुमंत जैसा कोई सखा है जो सुख दुःख की घड़ी मे संग खड़ा है रामायण के अन्य पात्र भी बदल रहे हैं अपना स्वरूप कलयुग का इंसान भूलता जा रहा है अपना मूल रूप न राम है न रावण है ये कलयुग की रामायण है ©Bindi #maa #🩷❤️🪷 hindi poetry on life #ramayan
Preet k dil say
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