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Stories related to धरती में समाई सीता

Amit Seth

रामायण में सीता जी एक नहीं दो थीं nojoto #viral #Trending

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Pushpa Sharma "कृtt¥"

White राम और रावण ने हमें मिलकर समझाया,
पाप- पुण्य से चाहे कितना भी बलवान हो,
टकराया तो ख़ुद को मिट्टी में मिला पाया।

©Pushpa Sharma "कृtt¥" #Dussehra #पापपुण्य #बलवान #धरती #नोजोटोहिंदी #नोजोटोराइटर्स

Smvedita

रघुवर-सिया प्रेम मय धाम: राम और सीता का प्रेम राम की विजय, रावण की हार हनुमान जी की शक्ति सीता राम की जोड़ी #ramayan #happydashera Devot

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Mahesh Chekhaliya

#love_shayari हर धड़कन में प्यास है तेरी, साँसों में तेरी खुशबू है इस धरती से उस अम्बर तक, मेरी नज़र में तू ही तू है

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White हर धड़कन में प्यास है तेरी,
 साँसों में तेरी खुशबू है 
इस धरती से उस अम्बर तक,
 मेरी नज़र में तू ही तू है..

©Mahesh Chekhaliya #love_shayari हर धड़कन में प्यास है तेरी, साँसों में तेरी खुशबू है इस धरती से उस अम्बर तक, मेरी नज़र में तू ही तू है

Pushpa Sharma "कृtt¥"

White चाँद से कुछ ऐसा दिखता है नज़ारा,
नीली से धरती और अंबर है प्यारा।

©Pushpa Sharma "कृtt¥" #International_Day_Of_Peace #अम्बरसे #धरती #नज़ारा #नोजोटोहिंदी #नोजोटोराइटर

Pramod kumar y

राम बना तो सीता ना मिली

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Shiv Narayan Saxena

#love_shayari प्यारे सुंदर धरती के उपहार

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person

🙏🚩🕉️ जय सीता रामजी लक्ष्मण जी हनुमान जी की जय 🙏🚩

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Sharad Chaturvedi

हर युग की सीता #sad_shayari

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White अगर सीता सोने का हिरण चाहेगी 
तो राम से बिछड़ना हर युग में तय है साहब

©Sharad Chaturvedi हर युग की सीता 

#sad_shayari

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

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गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्
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