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Pushpa Sharma "कृtt¥"
White राम और रावण ने हमें मिलकर समझाया, पाप- पुण्य से चाहे कितना भी बलवान हो, टकराया तो ख़ुद को मिट्टी में मिला पाया। ©Pushpa Sharma "कृtt¥" #Dussehra #पापपुण्य #बलवान #धरती #नोजोटोहिंदी #नोजोटोराइटर्स
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read moreSmvedita
रघुवर-सिया प्रेम मय धाम: राम और सीता का प्रेम राम की विजय, रावण की हार हनुमान जी की शक्ति सीता राम की जोड़ी #ramayan #happydashera Devot
read moreMahesh Chekhaliya
White हर धड़कन में प्यास है तेरी, साँसों में तेरी खुशबू है इस धरती से उस अम्बर तक, मेरी नज़र में तू ही तू है.. ©Mahesh Chekhaliya #love_shayari हर धड़कन में प्यास है तेरी, साँसों में तेरी खुशबू है इस धरती से उस अम्बर तक, मेरी नज़र में तू ही तू है
#love_shayari हर धड़कन में प्यास है तेरी, साँसों में तेरी खुशबू है इस धरती से उस अम्बर तक, मेरी नज़र में तू ही तू है
read morePushpa Sharma "कृtt¥"
White चाँद से कुछ ऐसा दिखता है नज़ारा, नीली से धरती और अंबर है प्यारा। ©Pushpa Sharma "कृtt¥" #International_Day_Of_Peace #अम्बरसे #धरती #नज़ारा #नोजोटोहिंदी #नोजोटोराइटर
Shiv Narayan Saxena
White पंच तत्व से बना हुआ अद्भुत यह संसार निर्झरिणी पर्वत तरु उदधि धरा का प्यार फुर्सत में बैठो थोड़ा वक़्त बिता लो यार चलो निहारें प्यारे सुंदर धरती के उपहार ©Shiv Narayan Saxena #love_shayari प्यारे सुंदर धरती के उपहार
#love_shayari प्यारे सुंदर धरती के उपहार
read moreSharad Chaturvedi
White अगर सीता सोने का हिरण चाहेगी तो राम से बिछड़ना हर युग में तय है साहब ©Sharad Chaturvedi हर युग की सीता #sad_shayari
हर युग की सीता #sad_shayari
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्
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