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रिपुदमन झा 'पिनाकी'
White क्या धनतेरस क्या दीवाली। कैसी खुशियां और खुशहाली। चमक रौशनी के सब फीके - जीवन काजल जैसी काली। न उत्साह न कोई उमंग। खुशियों की नहीं कोई तरंग। मन आंगन सूना - सूना है - बुझी रौशनी उतरा रंग। अपनों के खोने का ग़म है। भीगी पलकें आंखें नम है। बुझा हुआ है आस का दीया- अंतहीन अंतस में तम है। दिन बेनूर सी बदली वाली। रात अमावस जैसी काली। कैसे मन का दिया जलाएं- कैसे मनाएं हम दीवाली। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #ग़म
अज्ञात
दिल कहता है रुठों को मनाना होगा वो न झुकें तो ख़ुद झुक जाना होगा दिल के मेहमाँ हैं वो तमाम नखरों के उन्हें तो सर आँखों में बिठाना होगा तमाम गिले शिकवे भाड़ में डालकर ए दुश्मनों तुम्हें भी गले लगाना होगा जमाना कहता रहे चाहे बुज़दिल मुझे इसी राह मेरे कदमों में जमाना होगा इस जमीं ने इक छत तक न दिया मुझे अब तो हर दिल मकाँ बनाना होगा मैं कब तक उठाकर चलूँ गुरुर अपना इक दिन तो सब ख़ाक में जाना होगा कोई बैठा है मेरे अन्दर स्वासों के लिये बाद मोहलत तो वो भी रवाना होगा ए ज़िंदगी क्या बार बार मिल पायेगी तू हम गये तो फिर जाने कब आना होगा ©अज्ञात #राह-ए-ज़िंदगी
#राह-ए-ज़िंदगी
read moreAnuj Ray
White दर्द ए दिल, कोई शिकवा या शिकायत नहीं, ये निशानी है। खुशी से जी रहे , यादों में जिसकी आज तक, वो जिंदगानी है। ©Anuj Ray # दर्द ए दिल #
# दर्द ए दिल #
read moreHasan Khan
White तेरे जाने का मुझे कोई ग़म नही , तुम तो चाहत ए खुशबू के भंवरे हो . जो मौसम ए बहार में फिर लौट आओगे | ✍️ हसन खान ©Hasan Khan Shatha #sunset_time तेरे जाने का मुझे कोई ग़म नही तुम तो चाहत ए खुशबू के भंवरे हो जो मौसम ए बहार में फिर लौट आओगे #शायरी
sunset_time तेरे जाने का मुझे कोई ग़म नही तुम तो चाहत ए खुशबू के भंवरे हो जो मौसम ए बहार में फिर लौट आओगे शायरी
read moreBINOदिनी
White कुछ बातों को भूलाना , कुछ लम्हों को गुजारना, आसान नहीं होता। चुभते हुए लफ़्ज़ों के खंजर, बिन पौधों के जमीन यह बंजर। सहना आसान नहीं होता।। ©BINOदिनी दर्द-ए-बयान
दर्द-ए-बयान
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White मन तो बावरा है अटकता है कभी तो भटकता है कभी.. विरक्त है कभी तो आसक्त है कभी... धूप है प्रेम की तो छाह यादों की कभी!! डूबता उतरता सा मचलता, भटकता सा कभी, कितने रंग समेटे खुद में हो रहा बदरंग कभी रे मन.. कैसे पाऊँ थाह तेरी है तू आस कभी तो तू है निर्लिप्त कभी ©हिमांशु Kulshreshtha ए दिल..
ए दिल..
read moreDeepak "New Fly of Life"
रोते रोते मुस्कुराने का, हुनर सीख लेते हैं, ये औरतें हैं जनाब, सब कुछ सह लेते हैं। न जाने कहाँ से मिली, इन्हें ये ताकत है, जिसे बस रोने में जाया कर देते हैं। अगर पहचान लें ये, और समझ लें, खुद के अपने ज़ज़्बात को, तो ये काली माँ से कम नहीं होते हैं। रोते रोते मुस्कुराने का, हुनर सीख लेते हैं, ये औरतें हैं जनाब, सब कुछ सह लेते हैं। ©Deepak "New Fly of Life" शक्ति ए औरत
शक्ति ए औरत
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