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F M POETRY
White इक सितारा है जो दिन में भी नज़र आता है.. इतनी पुरजोर चमक तेरे सिवा है किसमे.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #इक सितारा है जो दिन में भी नज़र आता है.....
#इक सितारा है जो दिन में भी नज़र आता है.....
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White एक दिन जो कभी गुजार पाऊँ तुम्हारे साथ.. किसी झील के करीब दूर से आता देख तुम्हें इंतजार की पीढ़ा भूल हाथ उठा कर बुला लूँ तुम्हें नज़दीक तुम्हारे हाथ बढाने और मेरा हाथ थाम देखते रहें एक दूसरे की आँखों में ख़ामोश रहें होंठ बातें आँखों से कर लें हम जी लें उन चंद पलों में एक पूरा जीवन इस क़दर ख़ामोशी दिल की धड़कन सुन पाएं एक दूजे की हम ख्वाहिश छू लेने की एक भीगे से चुम्बन की महज ख्वाहिश, अधूरी, अनुत्तरित ©हिमांशु Kulshreshtha एक दिन..
एक दिन..
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White एक दिन शायद … खत्म होगा इंतजार… बहु प्रतीक्षित इंतजार.!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha एक दिन...
एक दिन...
read morevsfsaifkhawaza
White सूरज ढल जाता है ऐसे ही दिन गुजर जाता है ©vsfsaifkhawaza दिन #vsfsaifkhawaza
दिन #vsfsaifkhawaza
read moreParasram Arora
White वो दिन ज्यादा दूर नही ज़ब न मौसम बदलेगा न आदमी की नियत या गंदी आदते बदलेंगी लेकिन ये पृत्वी अपने अक्ष पर वैसे ही घूमती ठेगी जैसे अब तक युगो से घूमती रहीं है ©Parasram Arora वो दिन
वो दिन
read moreANSARI ANSARI
White ओ दुनिया के लोगों से नफरत करने वाले तेरा भी हिसाब होगा। ओ दिन भी आयेगा जब तेरा हस्रर कुत्ते और बिल्ली जैसा होगा। ©ANSARI ANSARI #good_night ओ दिन भी आयेगा।
#good_night ओ दिन भी आयेगा।
read moreMohan Sardarshahari
White यह दिन भी रंग बदलता है मुझे रोज आगाह करता है सुबह सुर्ख लाल जैसे बाल के गाल छिपे हों आंचल लाल। दोपहर में सफेद जैसे पुरुषार्थी का भेष तपकर करता सजीवों का पोषण देता श्रम का संदेश। बरसात से पहले बन जाता शांत जैसे योगी फिर मचाता शोर लुटाता खजाना जैसे कोई भोगी। सायं शांत सा समा जाता काली रात आगोश याद करते हुए जैसे बीते समय के रंग और मांग रहा हो फिर सुबह का जोश यह दिन भी रंग बदलता है मुझे रोज आगाह करता है ।। ©Mohan Sardarshahari दिन के रंग
दिन के रंग
read moreKiran Chaudhary
फिर एक वक्त ऐसा भी आया कि, उसके साथ रिश्ता बोझ सा लगने लगा, उसका सच भी अब झूठ लगने लगा, कभी मेरी सुबह ही उसकी आवाज़ से हुआ करती थी, अब मन उससे दूर होने को करने लगा, एक दिन बात नहीं हुई, दो दिन बात नहीं हुई, ऐसे करते करते अरसा हुआ, बुरा लगा बहुत बुरा लगा, पर अब इस सबकी आदत हो गई, मुझे लगता था कि मैं बहुत खास हूँ उसके लिए, वो दिन भर कॉल पर दिखता था, पर वक़्त नहीं था मेरे लिए, मैं खुद की ही नज़रों में आम हो गयी, क्या सच में मुझे उससे प्यार था? ये सवाल भी बेतुका सा लगने लगा।। ©Kiran Chaudhary फिर एक दिन ऐसा भी आया।।
फिर एक दिन ऐसा भी आया।।
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