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बेजुबान शायर shivkumar
"अस्तित्व" सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो और जल में शीतलता नही आती । मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है । सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है । बाहों में बल, चेहरे पर चमक उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन । नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं ! ©बेजुबान शायर shivkumar " #अस्तित्व " सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक #वृक्ष को #सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । न
" अस्तित्व " सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । न
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"पेड़ और बहादुर गिलहरी – हिंदी एनिमेटेड बच्चों की शिक्षाप्रद नैतिक कहानी" - दूरस्थ जंगल में, विशाल पेड़ बृंदा और उसकी छोटी दोस्त चिंकी एक खत
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"ब्रीज़ी का बड़ा साहसिक अभियान – पांडा शावक पिपिन की खोज और जंगल की चुनौती" - हिमालयी पर्वतीय क्षेत्र में बसा एक गाँव, जहाँ पांडा खुशहाल रहत
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"बेनी और रहस्यमय संदूक" - बेनी और रहस्यमय संदूक” की दिलचस्प कहानी में डूब जाइए, जहाँ बहादुर छोटी गिलहरी बेनी चंपावन के जंगल में एक साहसिक या
read moreIG @kavi_neetesh
*लाल बहादुर शास्त्री* छोटा कद उच्च विचारों वाले हमारे। लाल बहादुर शास्त्री थे महान।। मजबूत इरादे वाले सदा रहे वो। हर कदम पर बढ़ाया देश का मान।। जय जवान जय किसान का दिया नारा। गरीब मजलूम का बने वे सदा सहारा।। देश हित में लिए बड़े फैसले सदा। जिन पर गर्व देश करता है हमारा।। हिला दिया था जिसने पाकिस्तान। सच्चा भारत का वो सपूत महान।। जिन्होंने रखा था भारत का मान। हमारे शास्त्री जी थे हमारी शान।। ©IG @kavi_neetesh #HBDShastriJi कुमार विश्वास की कविता प्रेम कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी दिवस पर कविता देशभक्ति कविता *लाल बहादुर शास्त्री* छोटा क
#HBDShastriJi कुमार विश्वास की कविता प्रेम कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी दिवस पर कविता देशभक्ति कविता *लाल बहादुर शास्त्री* छोटा क
read moreShishpal Chauhan
White "लाल बहादुर शास्त्री और गांधी जयंती की ढेर सारी शुभकामनाएं।।" ©Shishpal Chauhan #लाल बहादुर शास्त्री, gandhi_jayanti
#लाल बहादुर शास्त्री, gandhi_jayanti
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके द्वारा पूर्व में, संचित कर्म समय आने पर, आपके प्राबर्द्ध की वर्षा की बरसात करके नाना प्रकार के फल जरूर देते हैं, सब कुछ सोच समझ कर करना चाहिए।। (यह समझने में थोड़ा परेशानी हो सकती हैं)।। जय श्री राधेकृष्ण जी। ©N S Yadav GoldMine #good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके
#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके
read moreFuck off nojoto
नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके, वो चले जा रहे है.. हुए पाँच दिन कुल, उनको मुझसे है बिछड़े अभी से ये तारे, जिस्म पिघला रहे हैं.. गले से लगा लो, या मुझको मार डालो वसवसे तन्हाइयों के, दिल दहला रहे हैं.. किया ये अहद है, फिर ना होगी मुहब्बत लाचारगी तो देखो, ख़ुद को बहला रहे हैं.. लगाते है वो मोल, उदासियों का मिरी हूँ परेशां बे-मतलब, ये दोहरा रहे हैं.. आँखों से मिरी आँसू, सँभाले ही न संभलें रहमत ये किस ख़ुशी में, वो बरसा रहे हैं.. इक शराब ही है, ग़म-ए-फुरक़त समझती मरीज़-ए-इश्क़ ख़ुद को, यूँ भी समझा रहे हैं.. वाक़िफ़ हो गए है, दुश्वारियों से ज़िन्दगी की हम भी हैं इंसा, हम भी पछता रहे हैं.. तस्वीरों को जिसकी, देखकर तू था रोया कूचा-ए-रक़ीब में वो इश्क़ फरमा रहे हैं.. दूर महसूस ख़ुद को, करते है ख़ुद ही से बेवज़ह नही हम, तग़ज़्ज़ुल फ़रमा रहे है.. किनारे लग गए हैं, मिरे ख़्वाब सारे देखकर मिरा हस्र, ये भी घबरा रहे है.. मेरा अज़ीब होना, ही है मेरी जरूरत छोटे मोटे ग़म तो, आने को शरमा रहे है.. ©Arshu.... नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके
नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके
read moreRavendra
अपहरण व सामूहिक दुष्कर्म के अभियुक्त को पुलिस ने किया बाबागंज। पुलिस अधीक्षक बहराइच वृन्दा शुक्ला के निर्देशन में अपराध एवं अपराधियों पर
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था। तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।" जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे। फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?" लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ ChatGPT can make ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
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