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gudiya
White ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं, बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है । नवीन आंखों में जो नवीन सपने हैं वे ग़ालिब के सपने हैं । गालिब ने खोली गांठ जटिल जीवन की, बात और वह बोली नपीतुली थी, हल्के पान का नाम नहीं था। सुख की आंखों ने दुख देखा और टिटौली की, यों जी भर बहलाया। बेशक दाम नहीं था उनकी अंटी में, दुनिया से काम नहीं था लेकिन उस को सांस सांस पर तौल रहे थे । अपना कहने को क्या था, धन-धान नहीं था सत्य बोलता था जब मुंह खोल रहे थे । ग़ालिब होकर रहे जीत कर दुनिया छोड़ी कवि थे, अक्षर में अक्षर की महिमा जोड़ी। -त्रिलोचन ©gudiya #sad_shayari #Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं, बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है । नव
#sad_shayari nojotophoto #nojotohindi ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं, बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है । नव
read moreGoluBabu
True Guru Sant Rampal Ji Maharaj जो संत शास्त्रों के अनुसार भक्ति साधना बताता है, वही पूर्ण संत होता है। इसके विषय में गीता अध्याय 4 श्लोक
read moreसंस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु
स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक बस अब कुछ नहीं . . विधा विचार . .
read moreDevesh Dixit
जीत का जज्बा रखना होगा जीत का जज्बा रखना होगा, पीछे नहीं अब हटना होगा। रह गये पीछे जो सपने अपने, उनको साकार करना होगा। ख्यालों से बाहर निकलना होगा, उड़ान को अपनी भरना होगा। खुला आसमान है ये देखो यारों, उस आसमान को छूना होगा। लक्ष्य को भी अब तो पाना होगा, जिद्द है इसे हासिल करना होगा। रुकावटें आएँ चाहे जितनी भी, उन सबको भी पार करना होगा। धीरज को बनाये भी रखना होगा, मंजिल की ओर नित बढ़ना होगा। फ़सल कटती जैसे समय आने पर, कर्म फल ही उसके अनुसार होगा। हांँ जीत का जज्बा अब रखना होगा, क़ायम भी तो उस पर रहना होगा। छोड़ दिये हैं सारे गिले-शिक्वे पुराने, उन यादों को अब बिसराना होगा। ................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #जीत_का_जज्बा_रखना_होगा #hindinojoto जीत का जज्बा रखना होगा जीत का जज्बा रखना होगा, पीछे नहीं अब हटना होगा। रह गये पीछे जो सपने अपने, उनको
#जीत_का_जज्बा_रखना_होगा #hindinojoto जीत का जज्बा रखना होगा जीत का जज्बा रखना होगा, पीछे नहीं अब हटना होगा। रह गये पीछे जो सपने अपने, उनको
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White सुबह होती हैं दोपहर होती हैं शाम होती हैं रात होती हैं उम्र यूं ही तमाम होती हैं मौत कब आ जाए कोई नहीं जानता कहां से आ जाए कोई नहीं जानता घर में हैं तब भी आ सकता हैं बाहर है तब भी आ सकता हैं कहीं से भी आ सकता हैं जब उसका वक्त होता हैं समय अनुसार वह आता हैं मगर बात की नहीं आता हैं जीवन और मृत्यु समय-समय के अनुसार ही होता हैं 🙏 ©person #सुबह होती हैं दोपहर होती हैं शाम होती हैं रात होती हैं उम्र यूं ही तमाम होती हैं मौत कब आ जाए कोई नहीं जानता कहां से आ जाए कोई नहीं जानत
#सुबह होती हैं दोपहर होती हैं शाम होती हैं रात होती हैं उम्र यूं ही तमाम होती हैं मौत कब आ जाए कोई नहीं जानता कहां से आ जाए कोई नहीं जानत
read moreBhupendra Rawat
White चाहे कितने भी रख लो व्रत तुम या कर लो फिर सारे तीर्थ धाम कर्म अच्छे नही है अगर, तो प्यारे फिर क्या करेगा श्याम फल की चिंता मत कर प्यारे तू रख कर्मों पर ध्यान कर्म अनुसार फल मिलेगा इस सत्य से मत बन अंज़ान ©Bhupendra Rawat # चाहे कितने भी रख लो व्रत तुम या कर लो फिर सारे तीर्थ धाम कर्म अच्छे नही है अगर, तो प्यारे फिर क्या करेगा श्याम फल की चिंता मत कर प्यारे तू
# चाहे कितने भी रख लो व्रत तुम या कर लो फिर सारे तीर्थ धाम कर्म अच्छे नही है अगर, तो प्यारे फिर क्या करेगा श्याम फल की चिंता मत कर प्यारे तू
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White 🙏हे प्रभु आत्मा दिव्य प्रकाश हैं वह कभी नहीं समाप्त होता हैं परंतु शरीर की एक निश्चित अवधि हैं जिसे समाप्त होना अनिवार्य होता हैं इस पृथ्वी ,सृष्टि ,धरती,🌎🌍 का यही नियम हैं कालचक्र अपना प्रभाव दिखाता हैं जन्म से मृत्यु का सफर चलता जाता हैं प्राणी, इंसान, मनुष्य, को जो शरीर प्राप्त होता हैं वह समय के अनुसार समाप्त होता हैं 🙏 ©person #Shiva 🙏🙏🙏🙏 🙏हे प्रभु आत्मा दिव्य प्रकाश हैं वह कभी नहीं समाप्त होता हैं परंतु शरीर की एक निश्चित अवधि हैं जिसे समाप्त होना अनिवार्य होत
#Shiva 🙏🙏🙏🙏 🙏हे प्रभु आत्मा दिव्य प्रकाश हैं वह कभी नहीं समाप्त होता हैं परंतु शरीर की एक निश्चित अवधि हैं जिसे समाप्त होना अनिवार्य होत
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गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि
गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} इन्सान को यह नही देखना चाहिए, क्या है, क्या मिला है, क्या नही मिला, या उसके अनुसार क्या होना चाहिए, कियोकि सबके अनुसार सब नही होता, पर जीवन को जीना होता है, इस जिंदगी की उलझनों मैं उलझे रहोगे, तो रोते हुए आये रोते रोते मर गए, अब भी वक्त है, भजले हरि का नाम मनवा, भजले हरि का नाम।। जय श्री कृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #isro_day {Bolo Ji Radhey Radhey} इन्सान को यह नही देखना चाहिए, क्या है, क्या मिला है, क्या नही मिला, या उसके अनुसार क्या होना चाहिए, क
#isro_day {Bolo Ji Radhey Radhey} इन्सान को यह नही देखना चाहिए, क्या है, क्या मिला है, क्या नही मिला, या उसके अनुसार क्या होना चाहिए, क
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दिनांक - 18-8-2024 लोकेशन - किराड़ी दिल्ली AM NEWS NATIONAL sa चीफ एडिटर अमृत मिश्रा का रिपोर्ट जल भराव के कारण लोगों का जीना हुआ मुश्किल ।
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