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Ghumnam Gautam
चलो आँखों में भर लो पर मुझे सपना नहीं करना किसी भी और को मेरे सिवा अपना नहीं करना चाही है तुम से इतनी वफ़ा बस इतनी वफ़ा मेरी साँसों को आख़िर तक तेरी ही ख़ुश्बू महकाए नहीं ये हो नहीं सकता कि तेरी याद ना आए तुझे भूलने से पहले मेरी जान चली जाए... कि जब तक साँस बाक़ी है मिलन की आस बाक़ी है समंदर सामने है पर ये सच है प्यास बाक़ी है हो जाएं चाहे दोनों जुदा, हम-दोनों जुदा यही मेरी दुआ होगी मुझे तू भूल हरसाए मगर ये हो नहीं सकता कि तेरी याद ना आए तुझे भूलने से पहले मेरी जान चली जाए... शिक़ायत है मुझे तुमसे तुम्हीं से इश्क-ओ-उल्फ़त है मेरी हर साँस को दिलवर तुम्हारी ही ज़रूरत है बहते इन अश्क़ों की ये है सदा हाँ, ये है सदा भले पत्थर मिलें मुझको,मगर तू फूल ही पाए नहीं ये हो नहीं सकता कि तेरी याद ना आए तुझे भूलने से पहले मेरी जान चली जाए.... मूल गीत― समीर ©Ghumnam Gautam #प्रतिगीत #ghumnamgautam #जान #याद #बरसात
Murtaza Ali
बरसात इंतज़ार तन्हाई..... फलक ज़मीन गहराई....!! ✍️murtaza ©Murtaza Ali #बरसात
Pankaj Pahwa
White जरा बरसात क्या हो गई, शहर सारा ही डूबा है, जो बनते खादिम ए कस्बा, इनका ये क्या मनसूबा है, सड़क बंद है लगा है जाम, जनता होने लगी परेशान, भीगती आ रही कैसे, शहर भर की है ये आवाम, वो खुश महलों में हैं बैठे, उनके हैं बन रहे पकवान, यहां बोनी नहीं अब तक, होने को आ गई है शाम, जरा बरसात क्या हो गई, शहर सारा ही डूबा है, जो बनते खादिम ए कस्बा, इनका ये क्या मनसूबा है, शहर छोड़ा था जिनके आसरे, वो सब ही गायब हैं, काम कोई न करने के, बहाने भी अजायब हैं, जरा गर पूछ लो इनसे, साहब ट्रैफिक को हटवा दो, चालान पहला तुम्हारा है, पहले तुम उसको कटवा दो, जरा बरसात क्या हो गई, शहर सारा ही डूबा है, जो बनते खादिम ए कस्बा, इनका ये क्या मनसूबा है, सवारी के अचानक से, हो गए दुगने हैं अब दाम, जहां पे बीस लगते थे, न होगा सौ से कम में काम, लाचारी है तुम्हारी है, हुई अब जेब भारी है, गलत को सहते रहने की, ये हम सबको बीमारी है, जरा बरसात क्या हो गई, शहर सारा ही डूबा है, जो बनते खादिम ए कस्बा, इनका ये क्या मनसूबा है, ©Pankaj Pahwa #बरसात
Richa Dhar
ए-सावन ऐसी बरसात कर कि सब भीग जाए तन तो भीग गया अब मन भी भीग जाए तन का मैल धुल गया ,अब मन का भी मैल धुल जाए ऐसा भिगा कि धुल के सबका व्यक्तित्व स्वक्ष हो जाए भगवन ऐसी बारिश करना कि सब तर हो जाए बीज बोया है आज प्रेम का वो भी पनप जाए एक आशा है सावन तुझसे कि तू सबको प्रेम करना सिखा जाए लोगों के हृदय में प्रेम जगा,घृणा का अस्तित्व समाप्त हो जाये ©Richa Dhar #Barsaat बरसात
Jaymala Bharkade
बरसात की बुंदे इन बरिशो के बुंदो में महकती हुई तेरी जुल्फे कतराती हमें युह ये बरसातो की बुंदे महका हैं ये बगिया यूह तेरी हसी से खोये हम भी इस कली में इन बरसातो की बुंदे में #raniyday ©Jaymala Bharkade बरसात की बुंदे ☔🌨️🌧️💙
Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
White उलझनों की बूँदें, भिगोकर जा रही हैं। किधर जाऊँ? फिर वो याद आ रही है। ©Anand Prakash Nautiyal tnautiyal #sad_shayari #बरसात #उलझन
#sad_shayari #बरसात #उलझन #कविता
read moreKumar Pranesh
White ख़ुद से ख़ुद की मुलाक़ात हुई है, तुझे लिखते लिखते, अश्कों की बरसात हुई है, तुझे लिखते लिखते!! ©Kumar Pranesh #Sad_shayri ख़ुद की ख़ुद से मुलाक़ात हुई है, तुझे लिखते लिखते, अश्कों की बरसात हुई है, तुझे लिखते लिखते!!
#Sad_shayri ख़ुद की ख़ुद से मुलाक़ात हुई है, तुझे लिखते लिखते, अश्कों की बरसात हुई है, तुझे लिखते लिखते!! #शायरी
read moreAnand Prakash Nautiyal tnautiyal
White अकेला ही सही, राहें फिर वही। न साथ, न हाथ। न बात ,न मुस्कुराहट। बस ! एक तेरे जाने की आहट। ©Anand Prakash Nautiyal tnautiyal #weather_today #बरसात