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Stories related to राखी सावंत नाना पाटेकर

Karan Kanaujiya

आपके नाना के बेटे की बहन आपको क्या लगेगी english speaking gyan #gk #studylife #Shorts #short #Trending #maa wvideos" class="text-blue-400" target="_blank">wvideos hd wvideos" class="text-blue-400" target="_blank">wvideos

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Satish Kumar Meena

@नादानी की राखी

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N S Yadav GoldMine

#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, 
और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई 
भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके 
द्वारा पूर्व में, संचित कर्म समय आने पर, 
आपके प्राबर्द्ध की वर्षा की बरसात करके
नाना प्रकार के फल जरूर देते हैं, सब 
कुछ सोच समझ कर करना चाहिए।।
(यह समझने में थोड़ा परेशानी हो 
सकती हैं)।। जय श्री राधेकृष्ण जी।

©N S Yadav GoldMine #good_night {Bolo Ji Radhey Radhey}
शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, 
और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई 
भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष

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गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

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