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aditi the writer
White यह आधा चम्मच प्रेम है, जो तुमने दी है मुझे, ना ज्यादा, ना ही कम, बस नाप-तोल के हद में। न रोमांच का तूफान इसमें, ना कोई मीठी सी मिठास, बस जैसे चाय में कम हो चीनी, और स्वाद में हो हल्की खलिश। तुम्हारे इशारों में भी नफ़ासत, जैसे हिसाब लगा रहे हो दिल का, आधा चम्मच जो बचा लिया, शायद अगले दिन के लिए! पर क्या करूँ मैं भी नादान, ये आधा चम्मच भी कर गया काम, क्योंकि दिल ने चुपचाप मान लिया, कम भी सही, पर प्रेम तो है तमाम। तो यूं ही देते रहो आधा-आधा, मैं इसे पूरा समझकर पी जाऊंगा, क्योंकि प्रेम की ये छोटी सी खुराक, मेरे दिल को भी भा जाएगी। ©aditi the writer #आधा vineetapanchal आगाज़ Niaz (Harf) Da "Divya Tyagi" shraddha.meera
aditi the writer
White मर्यादा के ध्वजवाहक, आदर्शों के दीप, धरा पर आए राम, सत्य के थे समीप। धनुष-बाण हाथों में, धीर और गंभीर, मर्यादा की महिमा में, उनका था अतीव। रघुकुल की शान थे, वचन के प्रति दृढ़, हर कठिनाई में रहे, धर्म के पथ पर अडिग। राज्य त्याग वन गमन, हर कदम में धैर्य, साधुता के पथ पर, रखा हर पल संयम का भैर्य। सीता के प्रति प्रेम था निर्मल और पावन, हर विपदा में उनका साथ था अडिग और अमर। लंका विजय से फिर किया, धर्म का उद्धार, रावण के अहंकार को, मिटाया सदा के लिए पार। मर्यादा पुरुषोत्तम, राम का वो रूप, जिसमें सजीव है सत्य, धर्म, और भव्य स्वरूप। उनके आदर्श आज भी देते हमें सीख, सद्गुण, संयम, और न्याय की करते वो अभिव्यक्ति अनमोल। राम का चरित्र है सदा अमर, जीवन के हर मोड़ पर, वो बने प्रेरणा के स्वर। ©aditi the writer #Ram_Navmi Niaz (Harf) आगाज़ Da "Divya Tyagi" vineetapanchal shraddha.meera
#Ram_Navmi Niaz (Harf) आगाज़ Da "Divya Tyagi" vineetapanchal shraddha.meera #कविता
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White पाश्चात्य के रंग चढ़े इस कदर, भूल रहे अपनी जड़ें, अपना सफर। जहाँ थे मंत्र, श्लोक, हमारी पहचान, अब बदल रहा है सबका ही मान। जींस, टी-शर्ट में लिपटी है जवानी, भूल गए धोती, साड़ी की कहानी। फास्ट फूड की थाली में स्वाद नया, पर खो गया मां के हाथों का छौंका हुआ। त्योहार अब बन गए बस एक रीत, कब छूट गई उनमें वो दिल की प्रीत? दिवाली की दियों की जगह ले ली रौशनी ने, होली की खुशबू को बदल दिया केमिकल ने। संस्कार, संस्कार अब बस नाम के, पश्चिमी हवाओं में बहते हैं हम आम के। अंग्रेज़ी में लिपटी हर एक बातचीत, हिंदी और मातृभाषा कहीं खो गई प्रीत। वो भी ज़रूरी है, प्रगति की राह, पर अपनी संस्कृति क्यों छोड़ें ये चाह? पाश्चात्य से सीखें, पर भूलें न अपनी धरोहर, क्योंकि वही है हमारी पहचान का आधार। आओ मिलकर चलें इस नये दौर में, अपनी संस्कृति को रखें हम अपने गौरव में। पश्चिम की चमक में खो न जाएं, अपनी धरोहर को दिल से सजाएं। ©aditi the writer #sanskriti Niaz (Harf) vineetapanchal आगाज़ shraddha.meera Da "Divya Tyagi"
#sanskriti Niaz (Harf) vineetapanchal आगाज़ shraddha.meera Da "Divya Tyagi" #कविता
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**नज़र एक बांदी** नज़र एक बांदी सी बँधी इस दुनिया के मायाजाल में, हर रंग में उलझी हुई हर सपने के जाल में। बाधाओं की बेड़ियों में सपनों का बंधन तंग हुआ, देखने की चाह में वो हर बार दबंग हुआ। कभी उम्मीदों की किरणों में चमकती वो दूर दूर तक, कभी निराशा के सायों में सिमटती वो दूर दूर तक। पर वो नज़र फिर भी बांधी रही इस दुनिया की छल-कपट में, ख्वाबों के टुकड़े बटोरती अपनी ही उलझनों की छटपट में। सच की रोशनी से जब वो आजाद होकर आई, तब जाकर उसे एहसास हुआ कि ये दुनिया सिर्फ परछाई। नज़र अब ना बांदी रही वो अब आसमान को देखे, खुद की हकीकत पहचान कर नए सफर की रौशनी खेले। अदिति जैन ©aditi the writer #नजर @it's_ficklymoonlight vineetapanchal आगाज़ shraddha.meera Da "Divya Tyagi"