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DR. LAVKESH GANDHI
Maa कहाँ हो लिखो माँ कभी तो मिलो माँ कैसी हो बताओ माँ मिलने तो आओ माँ कितनी दूर हो माँ मेरे पास आओ माँ हर सांस पर कर्ज है तेरा माँ फिर से चुकाने का मौका दो माँ जिंदगी में नहीं सोचा था कभी माँ आप भी मुझे छोड़ कर चलीं जाएंगी माँ ©DR. LAVKESH GANDHI #माँ # #मेरी माँ कहाँ हो #
माँ # मेरी माँ कहाँ हो #
read moreParasram Arora
White हर मंदिर और मस्जिद की चौखट पर हम एक भिखारी की हैसियत से ज्यादा की हैसियत नहीं रखते क्यों कि मंदिर मस्जिद मे जाने का हमारा उदेश्य अपनी ख्वाहिशों को ईश्वर से पूरा करवाने की प्रार्थना करना ही हैँ ©Parasram Arora मंदिर की चौखट
मंदिर की चौखट
read moreRiyanka Alok Madeshiya
White माँ ________ -------------- शब्दों की जरूरत नहीं होती मुझे तुमको अपनी बात समझने के लिए मेरे चेहरे के भाव काफी हैं मेरे मन का हाल बतलाने के लिए जीवन के संघर्षों से- जब भी यह मन घबराता है 'मैं हूंँ ना ' , 'सब ठीक हो जायेगा' तुम्हारा यही कहना याद आता है खो दिया तुमने खु़द को मुझे आकार देने में मैंनें ही तो जी हैं ;वो खु़शियाँ भी जो थी तुम्हारे हिस्से में अब लोग रूठतें हैं ; मनातें नहीं हैं तेरी तरह मेरी ग़लतियाँ छुपाते नहीं है काश! ये समय का पहिया वापस घूम पाता, और मुझे बचपन की गलियों में ले जाता जब तुम लोगों की नजरों से बचाने के लिए मुझे काज़ल का टीका लगाया करती थी और दिन के अन्त में- तुम खुद अपनी ही लगी नजर उतरती थी तुमने मुझको हक़ दिया हैं ;खु़द को सताने का बिना बात के रूठ जाने का मेरे झूठें ऑंसुओं पर भी- तुम्हारा दिल पिघल जाता है समझ में नहीं आता है कि- न जाने किस मिट्टी से ऊपर वाला माँ को बनाता हैं। स्वरचित और मौलिक रियंका आलोक मदेशिया पडरौना ,कुशीनगर ,उत्तर प्रदेश ©Riyanka Alok Madeshiya #माँ
" शमी सतीश " (Satish Girotiya)
मेरे बाद तेरे इश्क़ में, कोई जुल्फें संवारेगा, गालों को चूमेगा तुम्हारे। मगर किसी मंदिर की लाइन में, चिलचिलाती धूप में, पीछे खड़े हो के तुम्हारे। दुप्पटे का पल्लू बनाकर, शायद वो सिर पे ना रखे तुम्हारे। ©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) #मंदिर
mr.ojha
White माँ मेरा संसार तुम्हीं हो काशी और हरिद्वार तुम्हीं हो तुम्हीं वेद हो तुम्हीं ग्रंथ हो माँ गीता का सार तुम्हीं हो ©Rajnikant ojha #माँ