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Mohan Sardarshahari
रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाये, वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर गाहक लगाये, वह पसीने की हंसी है, वह शहीदों की उमर है, जो नया सूरज उगाये जब तड़पकर तिलमिलाये, उग रही लौ को न टोको, ज्योति के रथ को न रोको, यह सुबह का दूत हर तम को निगलकर ही रहेगा। जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा। ©Mohan Sardarshahari शुभ दीवाली
शुभ दीवाली
read moreDr. MANOJ SHARMA MANUJ
White सम्पूर्ण देशवासियों को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ। 💐💐🙏🙏 ©Dr. MANOJ SHARMA MANUJ #happy_diwali #Diwali #दीवाली #दीपावली
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read moreMahesh Patel
White सहेली....... में और हमसफर के साथ nojoto परिवार को दिवाली की शुभकामनाएं लिखते हैं ।। लाला..... ©Mahesh Patel सहेली... दीवाली... लाला....
सहेली... दीवाली... लाला....
read moreANJANA MALI
White याद है वो बचपन याद है वो गली मोहल्ले जहां संगी साथियों के साथ मिलकर पटाखे फुलझड़ियां छोड़ी थी। ये बचपन तो फिर से लौट कर आजा होंटो पर मुस्कान सजा जा। यह जवानी जिम्मेदारियां की फुलझड़ियां है, जिसमें हर कोई अपनी खुशियों के अरमानों को दबा बैठा है। बेबीसी को अपने दिल में छुपा कर बैठा है। ऐ बचपन तू फिर से लौट के आजा। आंखों के सपने सजा जा। ©ANJANA MALI #diwali_wishes बचपन की दीवाली
#diwali_wishes बचपन की दीवाली
read moreShashi Bhushan Mishra
हंसती आंखें दिल रोता है, अपना चाहा कब होता है, गाने वाला रो दे अक़्सर, पाने वाला ही खोता है, राम नाम रटने वाला भी, फंसा जाल में ज्युं तोता है, रोज़ नहाये गंगा जल से, मन का मैल नहीं धोता है, पछताने से क्या होगा जब, बीज दुखों का ख़ुद बोता है, रात में करता है रखवाली, श्वान दिवस में ही सोता है, ज्ञान बिना दुनिया में गुंजन, भंवर बीच खाता गोता है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #अपना चाहा कब होता है#
#अपना चाहा कब होता है#
read moreRicha Dhar
White जैसे जैसे दीवाली करीब आ रही थी,वैसे वैसे समय पंख लिए पीछे की ओर भाग रहा था।अतीत का गुज़रा हुआ पल चलचित्र की भांति आँखों के आगे घूम रहा था।मैं हर वर्ष अपने पूरे परिवार के साथ खरीदारी करने जाती थी।बाज़ार की भीड़ भाड़ और रौनकों के बीच में भी मेरी नज़रे उन लोगों को ढूढ़ लेती थी,जो हालात के मारे छोटे छोटे बच्चे दिए में रुई लगाने वाली बत्तियां बेचते थे।या दीए बेचते उन महिला पुरुषों पर होती थी जो सड़क में एक तरफ बच्चे को लिटाये सामान बेच रहे होते थे।मुझे नहीं पता पर मैं सब कुछ छोड़कर उन्ही के पास जाती और उनसे ही सामान लेती।सोचती थी कि ये लोग वक़्त के मारे वक़्त काट रहे हैं या वक़्त उन्हें काट रहा है।उनसे सामान लेने के बाद उनकी चेहरे की खुशी मुझे आत्मिक सुख देती थी।अब वक्त तेजी से भाग रहा है।मेरा शहर,दोस्त वो माहौल सब कुछ छूट गया।लेकिन याद आता है वो गुज़रा वक़्त जो वर्तमान में अतीत बन के रह रहा है स्मृतियों में ........... ©Richa Dhar #GoodMorning दीवाली
#GoodMorning दीवाली
read moreJayesh gulati
कुछ बातें धर्म से परे हो गई, तुझे देखा तो लगा मेरी ईद हो गई । किया नहीं था इज़हार, तुमसे अपनी मोहब्बत का कभी, मगर जब बाहों में भरा, उनकी तो जैसे दिवाली हो गई । खुदा ने तो शायद बताया था धर्म परे है मोहब्बत में, फिर भी दुनिया की नज़रों में मैं हिंदू, वो मुसलमान हो गई । ©Jayesh gulati दीवाली हो गई ।।
दीवाली हो गई ।।
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