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Stories related to शीशम के पत्ते धातु रोग

paimel preet kaur

इस रोग का कोई ईलाज नहीं है।#HeartTouching #Motivation poetry #TrueWords

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BRAHMRISHI SRIRAM

उदरी रोग प्रशमन

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Himanshu Prajapati

#Sad_Status जैसे पतझड़ के बाद पेड़ पर नये पत्ते आते हैं, वैसे ही ठोकर खाने के बाद जिंदगी में नये विचार आते हैं..! आज का विचार सुप्रभात स्व

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White जैसे पतझड़ के बाद पेड़ पर 
नये पत्ते आते हैं,
वैसे ही ठोकर खाने के बाद 
जिंदगी में नये विचार आते हैं..!

©Himanshu Prajapati #Sad_Status जैसे पतझड़ के बाद पेड़ पर 
नये पत्ते आते हैं,
वैसे ही ठोकर खाने के बाद 
जिंदगी में नये विचार आते हैं..! आज का विचार सुप्रभात स्व

ARBAJ Khan

काली दुनिया के शैतान के खोफ

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White शैतान की दासतान
वे कहते है। जब आप आश की एक छोटी - सी  उमीद निराशा में बदल जाती है। तब काली दुनिया से कोई हमारे लिए आएसान करने के लिए तैयार रहता है।
फिर वों कहते है। ना हर आएसान की कोई न कोई कीमीत होती है।

©ARBAJ Khan काली दुनिया के शैतान के खोफ

kavi Dinesh kumar Bharti

#टीका बन गया रोग कविता

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Jagbandhu Mandal

जब ऐसा लगे जीवन में सब कुछ खत्म हो गया है  तो याद रखना पेड़ हर साल अपने पत्ते खो देते है फिर भी खड़े होकर बेहतर दिनों के आने का इंतजार करत

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White जब ऐसा लगे 
जीवन में सब कुछ खत्म हो गया है  
तो याद रखना
 पेड़ हर साल अपने पत्ते खो देते है 
फिर भी खड़े होकर 
बेहतर दिनों के आने का इंतजार करते है... |

©Jagbandhu Mandal जब ऐसा लगे 
जीवन में सब कुछ खत्म हो गया है  
तो याद रखना
पेड़ हर साल अपने पत्ते खो देते है 
फिर भी खड़े होकर 
बेहतर दिनों के आने का इंतजार करत

Vijay Shankar

पतली धातु में बड़े अंतराल को वेल्ड करने का आसान तरीका

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Vijay Shankar

पतली धातु को वेल्ड करना, स्टील प्लेटों को वेल्ड करने से अधिक कठिन होता है।

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Praveen Jain "पल्लव"

#Buddha_purnima जन्म मरण के रोग भगाये #nojotohindi

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Heer

#रोग

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रोग 

ऐसा रोग लगा मुझे की, अब नहीं दिखता कोई अपना,
जकड़ा मुझको इसने ऐसे की, रहा न कोई अपना। 

छाया अब घनघोर अंधेरा, कैसी दुविधा है आई, 
चारो ओर उदासी है लाई, इंतजार जीवन भर पाया। 

चेहरे पर खुशी नहीं अब, ऐसा साल आया अब, 
पैसे रहा न अपने रहे,रहा न कोई अपना। 

शुरुआत में लगा मुझे भी, सलामत घर को लौट जाऊंगा,
सब कुछ ठीक फिर हो जायेगा,पहले जैसा बन जायेगा। 

लेकिन फिर अचानक से,  इस बीमारी ने अपना रंग दिखाई, 
दिखाया मुझको फिर आइना, मुझसे मेरी पहचान कराई। 

अब पूछते है एक दूसरे से, कब होगा सब पहले जैसा, 
कब तक रहेगा सब ऐसा, 
हर सुबह करते है अब सब, सवाल नए एक दूसरे से। 

कही ऐसा न हो जाए, उड़ जाए पंछी अकेला, 
रह जाए बस खाली पिंजरा, 
समझ आया जब रोग ये लगा, रहा न कोई अपना। 

Alfazii 🖊️💙

©Heer #रोग
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