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Parasram Arora
Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora कब?
कब?
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} कौन क्या कर रहा है, क्यों कर रहा है, कब कर रहा है, कैसे कर रहा है, कब करेगा, आप इन सबसे दूर रह कर यदि (सुखी नाम) का जीवन जीना चाहते हो तो आप सिर्फ भगवान श्री कृष्ण जी का मन से चिंतन करो जी।। ©N S Yadav GoldMine #GoodMorning {Bolo Ji Radhey Radhey} कौन क्या कर रहा है, क्यों कर रहा है, कब कर रहा है, कैसे कर रहा है, कब करेगा, आप इन सबसे दूर रह कर यद
#GoodMorning {Bolo Ji Radhey Radhey} कौन क्या कर रहा है, क्यों कर रहा है, कब कर रहा है, कैसे कर रहा है, कब करेगा, आप इन सबसे दूर रह कर यद
read moreBabita Singh
White जाना कहां है ना जानु मैं क्या चाहता है यह दिल मेरा उदास रहता है मन और ख़ामोश है तन्हाइया 🫂☺️ ©Babita Singh #sad_dp एकांत में सुकून तो है पर दर्द भी देती है कही, लोग क्या सोचते है यह नहीं सोचना बस खुद के लिए जीना और खुद से करना प्यार कहना आसन ह
#sad_dp एकांत में सुकून तो है पर दर्द भी देती है कही, लोग क्या सोचते है यह नहीं सोचना बस खुद के लिए जीना और खुद से करना प्यार कहना आसन ह
read moreRakesh frnds4ever
White कहना सुनना आखिर कब तक !!??!! सहना सहना आखिर कब तक!!??!! क्रूरताओं और अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी खामोशियां,, आखिर कब तक!!??!! प्रताड़नाओं की मार के आगे दबती सुबकती मेरी सिसकियां,,,, आखिर कब तक!!??!! कहना सुनना आखिर कब तक !?! रोना धोना आखिर कब तक!?! सहना सहना आखिर कब तक!?! जीवन संघर्ष का युद्ध कब तक?!? प्राणों का ये ताना बाना कब तक?!? कब तक आखिर कब तक मैं ही क्यों आखिर कब तक!!???!!!!?? ©Rakesh frnds4ever #कहना_सुनना आखिर कब तक #सहना सहना आखिर कब तक,,,,,, #क्रूरताओं और #अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी #खामोशियाँ आखिर कब तक, प्रताड़नाओं
#कहना_सुनना आखिर कब तक #सहना सहना आखिर कब तक,,,,,, #क्रूरताओं और #अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी #खामोशियाँ आखिर कब तक, प्रताड़नाओं
read moreShashi Bhushan Mishra
ख़्वाहिश कब लेती मंज़ूरी, रहती मन की बात अधूरी, भाग्य साथ देता तो होती, मनोकामनाएं सब पूरी, दीदावर मिल जाए सच्चा, नर्गिस कभी न हो बेनूरी, लोग मुकर जाते वादे से, रहती होगी कुछ मज़बूरी, मनचाहा मिल जाए कैसे, क़िस्मत के हाथों में छूरी, हरपा हुआ नहीं फल देता, छल प्रपंच से रखना दूरी, जीवन सफ़ल बना देता है, 'गुंजन' श्रद्धा और सबूरी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #ख़्वाहिश कब लेती मंजूरी#
#ख़्वाहिश कब लेती मंजूरी#
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