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बेजुबान शायर shivkumar

तेरी एक #झलक से मेरी ये दुनिया बदल जाती है, तू न हो पास तो मेरी ये #धड़कन रुक सी जाती है । तुम्हारी एक वो #मुस्कान से मेरी ये #साँसें

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तेरी एक् झलक

©बेजुबान शायर shivkumar तेरी एक #झलक  से मेरी ये दुनिया बदल जाती है,
तू न हो पास तो मेरी ये #धड़कन  रुक सी जाती है ।

तुम्हारी एक वो #मुस्कान  से मेरी ये  #साँसें

Ashtvinayak

सीधी सरल नहीं हैं जिंदगी की राहें .. शायरी हिंदी हिंदी शायरी दोस्ती शायरी शायरी attitude

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Banarasi..

💭 क्या कभी आपको ऐसा महसूस हुआ है कि जीवन की कठिनाइयों से डरकर हमने कई मौके खो दिए हों? 💭 क्या प्रेम के भावों को समझना हमेशा इतना सरल होता है

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बनारसी ......

©Banarasi.. 💭 क्या कभी आपको ऐसा महसूस हुआ है कि जीवन की कठिनाइयों से डरकर हमने कई मौके खो दिए हों?
💭 क्या प्रेम के भावों को समझना हमेशा इतना सरल होता है

Kavi Himanshu Pandey

सरल, ज़्यादा Hindi #beingoriginal

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Ankur tiwari

#GoodMorning जानती हो तुरंत रिप्लाई कर देने का मतलब शायद तुम्हे लगता हो कि मैं निठल्ला निकम्मा आवारा बैठा रहता हूं दिनभर पर व्यस्त रहने औ

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White  जानती हो 
तुम्हारा मैसेज आते ही मैं झट से रिप्लाई कर देता हूं 
तुम्हारे ऑनलाइन आने के इंतजार में जगा रहता हूं 
तुम जब कभी लाईक करती हो मेरी इंस्टा स्टोरीज को
उस दिन मैं दिनभर एक अलग ही ख़ुशी में डूबा रहता हूं
जानती हो 

पूरी स्टोरी पढ़े नीचे कैप्शन मे.......👇

©Ankur tiwari #GoodMorning  जानती हो 
तुरंत रिप्लाई कर देने का मतलब शायद तुम्हे लगता हो
कि मैं निठल्ला निकम्मा आवारा बैठा रहता हूं दिनभर 
पर व्यस्त रहने औ

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही  , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।

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दोहा :-
बेटी पढ़ाकर भी नही  , बचा न पाये प्राण ।
पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।।

गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।।

मूक बधिर हम सब बने , देख रहे हैं कृत्य ।
गली-गली शैतान वह , हमें दिखाता नृत्य ।।

सरल यही अब राह है , जला सभी लो मोम ।
याद भला कब तक रहे , तुम्हें नाथ का ओम ।।

याद किसी को है नही , सत्य सनातन ओम ।
बुझे पड़े है कुंड सब , कही न होता होम ।।

जला-जला के मोम को , देते रहो प्रमाण ।
हम निर्बल असहाय हैं , हर लो मेरे प्राण ।।

पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान ।
निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

बेटी पढ़ाकर भी नही  , बचा न पाये प्राण ।

पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।।


गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
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