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neelu
White मेरी नानी एक बात कहती थी पता नहीं क्यों कहती थी .... नौटंकी क्यों नहीं करते... पर एक शर्त है अच्छे से क्यों नहीं करते ©neelu #good_night मेरी #नानी एक बात #कहती थी पता नहीं #क्यों #कहती थी .... #नौटंकी क्यों नहीं करते... पर एक #शर्त है #अच्छे से क्यों #नहीं करते
Suresh S N
White मेरी एक बात याद रखिए जब किसी पर गुस्सा आये, कोई दोस्त हो कोई अपना हो कोई भी हो, तब उस व्यक्ति के बारे में सोचिए उसने जो अच्छे काम हमारे लिए किया है हमारी सहायता की है और आप उसे माफ कर देंगे एक बार कोशिश करके देखिए ©Suresh S N मेरे ओर से एक कोशिश
मेरे ओर से एक कोशिश
read moreमिहिर
White जब देखता हूं तुम्हें क्या मैं तुम्हे ही देखता हूं !! या जब तुम कहते हो कुछ क्या मैं तुम्हे ही सुनता हूं ना....….... सच है ये की तुम में भी खुद को ही ढूंढता हूं सच है ये की तुम से भी वही सुनना है जो है मेरे ही मन की आवाज है सच हैं ये की अन्दर और बाहर भी खुद से खुद को ही ढूंढने की कश्मकश है खुद से खुद को ही मिल पाने की आरज़ू है ! ©मिहिर #आरज़ू
रिपुदमन झा 'पिनाकी'
White मैं दुआओं में हमेशा के लिए ज़िन्दा रहूँ। बददुआ न लूँ किसी की मैं न शर्मिन्दा रहूंँ। काम हों सबकी भलाई के मेरे हाथों सदा- नेक नगरी का हमेशा नेक बाशिन्दा रहूँ। दिल दुखाऊँ ना किसी का तीखी कड़वी बात से। मैं कभी खेलूँ नहीं मजबूर के जज़्बात से। साथ दूँ मैं हर क़दम सबका, मदद सबकी करूँ- मैं न घबराऊँ कभी बिगड़े हुए हालात से। मैं कभी नीचे न गिर जाऊँ मेरे किरदार से। पेश आऊँ मैं सभी से हर घड़ी बस प्यार से याद कर मुझको करें निन्दा मेरी ना लोग सब- अलविदा जब लूँ कभी मैं दुनिया के बाजार से। आरज़ू है ज़िन्दगी भर नेकियांँ करता रहूँ। ग़मज़दा लोगों की झोली खुशियों से भरता रहूँ। मैं ख़रा उतरूँ सभी की ख़ाहिशों उम्मीद पर- रौशनी बन ज़िन्दगी में सबकी मैं जलता रहूँ। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #आरज़ू
ranjit Kumar rathour
थी बातूनी सी उसकी बक बक से सब रहते थे परेशान लेकिन वो बेहतरीन थी जरूरत थी उसके मनोबल क़ो बढ़ाने कि उम्मीद खूब आगे जाना बाबू मेरा आशीर्वाद तुम्हे ताउम्र होगा हाँ होगा ©ranjit Kumar rathour थी एक बक बक
थी एक बक बक
read moresumeet raj
White न जी भर के देखा न कुछ बात की बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की ©sumeet raj #GoodMorning #न जी भर के देखा न कुछ बात की बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की #sumeetraj #sumeetworld
#GoodMorning #न जी भर के देखा न कुछ बात की बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की #sumeetraj #sumeetworld
read moreचारण गोविन्द
White कौन सुनता है भला अब आरज़ू, सो ख़ामोश है दिल। घुट रहा हूँ मैं बहुत पर क्या करूँ, सो ख़ामोश है दिल। सामने दिल के खड़ा है दिल को बेहद अज़ीज शख़्स, पर नहीं वो चाहता है गुफ़्तगू, सो ख़ामोश है दिल। रात में मैं देखता हूँ दूर उस को जाते हुए पर ख़्वाब में उसको भला मैं क्या कहूँ, सो ख़ामोश है दिल। शख़्स इक बेबाक सा जो दिख रहा है अब बेज़ुबां सा, हाल अपना देखता हूँ हू-ब-हू, सो ख़ामोश है दिल। चाहता है शेर कहना दिल मगर सुबह दफ्तर भी है, शौक जो टपका रहा है यूँ लहू, सो ख़ामोश है दिल। आज जो शायद मुझे झोंका समझ कर के गुजर जाए, कल वहीं होंगे तूफ़ां से रू-ब-रू, सो ख़ामोश है दिल। अब तलक गोविन्द तू उसके लिए ग़ज़ले कह रहा है, जो कहे है इश्क़ मेरा और तू! सो ख़ामोश है दिल। चारण गोविन्द मुद्दत बाद एक मुक़म्मल ग़ज़ल। #poeatry #Shayar #CharanGovindG #govindkesher #actual_poet #Love #gazal #Dil #Hindi #love_shayari
मुद्दत बाद एक मुक़म्मल ग़ज़ल। #poeatry #Shayar #CharanGovindG #govindkesher #actual_poet Love #gazal #Dil #Hindi #love_shayari
read moreranjit Kumar rathour
थी एक दोस्त (दीपा ) ************* किसकी बात कर रही हो अरे यार दोस्त के बारे ऐसा नहीं कहते हा यही तो दुख हैँ अब दीपा नहीं रही... सन्न थे ग्रुप के सभी दोस्त सहेलियां थे हम बचपन से जवानी तक साथ रहे है हम फिर अपनी दुनिया मे गुम रोज घर परिवार पुराने दिनों के किस्से कहानिया थोड़ी मस्ती और शरारत और फिर एक दिन डरा देने वाली खबर किसी ने लिखा पता है अपनी शैतान बीमार है वो बड़ी परेशानी मे है हम पांच सहेलियों मे से एक सबने दुआएं कि बोला यार तू घबराना मत हिम्मत रखना डार्लिंग! तू तो हम सबकी जान है तुझे कुछ नहीं होगा लेकिन एक दर्द उभरा चंद दिन पहले लिखा नहीं डिअर अब मेरा समय करीब है और फिर एक सितम्बर आज़ ही के दिन दीपा मेरी जान! हम सबकी पावर हाउस हर बात पर मस्ती शरारत का कोई मौका नहीं छोड़ती नाम भी कितना सुंदर दीपा.. जिसकी जलना ही नियति थी याकायाक बुझ गयी... दोस्त क़ो स्नेह भरा आलिंगन काश! हम सब साथ होते और एक बार फिर गले मिलते एक तस्वीर तेरी पसंद से खिचवाते हा! नियति ने मुझे तुमसे चंद दिन पहले मिलने का मौका दिया था मैं भाग्यशाली हूं.. अपने यार को मिल पाया तू जहाँ भी रहेगी दमकती रहेगी हा हम सारे दोस्त तुम्हे मिस करेँगे हा तुझे..मुझे अपने घर लाने का वादा अधूरा रहा गया माफ़ी चाहती हूं लेकिन तेरी हर बात न्यारी थी यार तू हमारी प्यारी दोस्त थी..सदा रहोगी मगर एक शिकायत ऊपर वाले से इतनी जल्दी भी क्या थी अभी तो दीपा क़ो काफ़ी कुछ सवारना था बाबू के जीवन मे उजाला भरना था ये तेरा न्याय ठीक नहीं.. और भगवान आपसे एक मिन्नत है मेरी ही नहीं हमारी जान क़ो अपने चरणों मे जगह देना बहुत प्यारी है वो हा बहुत प्यारी है तुझे इस कदर लिखना अच्छा नहीं लगता और अब इतनी हिम्मत नहीं कि तुझे और लिख पाऊं... अश्रुपूरित नयन, बेकल मन से तुझे नमन करती। हुँ 🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏 ©ranjit Kumar rathour एक थी दोस्त (दीपा )
एक थी दोस्त (दीपा )
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