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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी ईट गारे के मन्दिरो मस्जिदों को आस्थाओं के नाम पर बाँट दिया इंसानियत को खूंटी पर टांग झगड़ा धर्म का बढ़ा कर कौमो और मोहल्लों में बाँट दिया कत्ल अब आम हो चल रहा है सियासतों ने वोट बैंक के खातिर जहर हर दिल मे मजहबो का बाँट दिया वेद पुराण शास्र कुरान हासिये पर है मोहरा इनको भी लूटपाट और जलाने का बना दिया है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #hindi_diwas वेद पुराण शास्त्र कुरान सब हासिये पर है #nojotohindi
#hindi_diwas वेद पुराण शास्त्र कुरान सब हासिये पर है #nojotohindi #कविता
read moreDiwani Divya
White 💖 हमारा जीवन ही एक पूजा के समान है, छींक की तरह कई बार अनचाहे विचार आ जाते है। यदि उन्हे एकाध बेहोश छींक की तरह निकल जाने दिया, तब तो भी ठीक ही है। किंतु यदि किसी होशपूर्ण विचार की छींक के प्रति हम जागरूक नही रहे तो जीवन मे बहुत से अच्छे मौके गंवा सकते है। 💖 ©Diwani Divya #छींक पुराण 💖
Official vishwajeet Yadav
भगवती विंध्यवासिनी के बारे में कुछ खास बातेंः  विंध्यवासिनी को विंध्याचल की देवी भी कहा जाता है. विंध्यवासिनी को आदि शक्ति माना जाता #भक्ति
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- रूठ गई हैं राधिका, कृष्ण करें मनुहार । लगा रहे हैं केश में , वो फूलों का हार ।। यमुना तट पर बैठकर , रचा रहे हैं रास । आ बैठी हैं राधिका , देखो उनके पास ।। अब तक जिनके प्रेम का , प्रकृति देखती बाट । वे तो राधेश्याम हैं , उनकी ऊँची ठाट ।। उस ग्वाले की प्रीति को , जान रहा संसार । जिसे पूजता है जगत, कहकर पालन हार ।। ग्वाले जैसा फिर कहाँ, दिया किसी ने ज्ञान । जिसको सुनकर देख लो , हुए धन्य इंसान ।। छोड़ द्वेष की भावना , करे मनुज भी रास । क्यों ऐसा दिखता नही , पूछ रहा यह दास ।। रास रचाकर आप क्यों , करते उनसे आस । यही नेह मानव करे , बन कर तेरा दास ।। नाग पंचमी पर्व का , सुन लो बहुत महत्व । पढ़कर वेद पुराण को , जानो इसका तत्व ।। मानों तो संसार में , पूज्य सभी हैं जीव । तभी सनातन धर्म में , हैं यह बहुत अतीव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- रूठ गई हैं राधिका, कृष्ण करें मनुहार । लगा रहे हैं केश में , वो फूलों का हार ।। यमुना तट पर बैठकर , रचा रहे हैं रास । आ बैठी हैं राध
दोहा :- रूठ गई हैं राधिका, कृष्ण करें मनुहार । लगा रहे हैं केश में , वो फूलों का हार ।। यमुना तट पर बैठकर , रचा रहे हैं रास । आ बैठी हैं राध #कविता
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दोहा :- मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद । कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।। हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ । बस कर लो अनुभूति यह , वे ही थामें हाथ ।। कैसे मानूँ मैं यहाँ ,हूँ मैं एक अनाथ । चलते भोलेनाथ जी , थामें मेरा हाथ ।। सोम-सोम उपवास कर , भर मन में विश्वास । हरे व्याधि शिवनाथ जी , रखना इतनी आस ।। रिश्तों में विश्वास ही , हुए मनुज के प्राण । अगर नहीं विश्वास तो , मधुर वचन भी बाण ।। मातु-पिता भगवान हैं , कर भी लो विश्वास । उनसे ही तो पूर्ण है, जीवन की हर आस ।। गुरुवर होते देव हैं , देते समुचित ज्ञान । जिसको पाकर शिष्य सब , बन जाते इंसान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद । कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।। हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ । बस कर लो अनुभूति य
दोहा :- मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद । कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।। हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ । बस कर लो अनुभूति य #कविता
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