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Chreey chreey
White Dussehra Dussehra ©Chreey chreey #Dussehra Dussehra Dussehra
Shi.....ya
White ।।हजारों रावण आते हैं एक पुतले को जलता देखने पहले खुद के अंदर छिपे रावण को जलाओ तब होगी सही में विजयादशमी।। ।।दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं।। ©Shi.....ya #Dussehra #Vijayadashmi #Dussehra #navratri
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read moreVicky
White enjoy Dussehra ©Vicky #Dussehra #Dussehra #nojatohindi #NO1_Trending
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read moreYADAV
Dussehra Dussehra ©YADAV #navratri Dussehra Dussehra
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Durgesh Tiwari..9451125950
असल मे मित्र वह नही होता है जो आपके साथ चित्र अथवा चलचित्र में होता है,बल्कि असली मित्र वो होता है जो आपके साथ हर परिस्थिति में आपके साथ चित्त{मन} में होता है। असल जिंदगी में वित्त वाले मित्र की महत्ता शून्य होनी ही चाहिए.. जबकि चित्त वाले मित्र की महत्ता अनन्त और अथाह होनी चाहिए। वैसे तो मित्र का अर्थ मन के त्राण अथवा कष्ट को हर लेने वाला होता है किंतु आजकल के मित्र त्राण को नही हरते बल्कि प्राण को ही हर लेने में विश्वास रखते हैं। आजकल के मित्र को मित्र का अर्थ(भावार्थ)भले ही ना पता हो लेकिन मित्र के अर्थ(धन)का सटीक लेखा जोखा होता है। बीच बीच मे यही मित्र - तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान, कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥ और.. निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय। जैसे पंक्तियों से समय-समय पर अपनी प्रासंगिकता चरितार्थ करते रहते हैं। असल मे ये वही मित्र है जो आपके यश एवं प्रसिद्धि रूपी ट्रेन को रुकता हुआ देखकर तुरन्त रफ्तार पकड़ी हुई दूसरी ट्रेन में लपक कर चढ़ने में विश्वास रखते है। अवसरवादी मित्र को मालसखा मित्र कहा गया है ये मित्र असल मे आपका मित्र नही होता यह आपके माल का मित्र होता है(नोट-भारत मे माल के कई अर्थ है।) खासतौर से ऐसे मित्रो से सावधान रहने की आवश्यकता है जो समय,काल और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए किंतु लाभ-हानि के गणित से आपका मित्र बनता है और अंत मे स्वार्थ सिद्ध होने के बाद आपको दूध में पड़ी मक्खी बताकर फेंक देता है।यह मित्र मित्रता के लिए काल(यमराज)के समान होता है जो मित्र को समाप्त करने के साथ-साथ मित्रता को भी बिना डकार लिए हुए लील जाता है। एक श्रेष्ठ मित्रो की श्रेणी यह भी होती है कि ये अपनी श्रेष्ठता का रोपण किसी खास मित्र के काल्पनिक अशिष्टता,चारित्रिक अभद्रता एवं मनगढ़ंत अप्रासंगिक कहानियों के पुलिंदे पर गढ़ते है जो बालू के रेत की महल की तरह कभी भी भरभरा कर गिर सकता है। मगर सच्चे अर्थों में मित्र तो वही है जो हमारे भाव को समझे,हमारे आंखों की चाह और होंठो की तृष्णा को पहचाने,असली मित्र वही है जो माथे के शिकन से समस्या का समाधान खोज दे, असली मित्र वही है जो हमारे प्रेम,साहस,धैर्य और पराक्रम को कभी कम न होने दे,असली मित्र वही है जो खुद भी देखे और मुझे भी दिखाए... क्या?... "भविष्य के सपने" सादर प्रणाम। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ©Durgesh Tiwari..9451125950 #happypromiseday 201